पकिस्तान मुल्क में मानव अधिकारों के मूल्यों की कोई जगह नहीं है। पकिस्तान का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था और उसी धर्म के आधार पर पकिस्तान के शासक शासन सत्ता चलाते है। धार्मिक उग्रवाद के चरम पर पहुंच चुके पकिस्तान में सत्ता की कमान परोक्ष रूप से सैन्य ताकते संचालित करती है। जिसके चलते वहां मानवीय मूल्यों के अधिकारों को विद्रोह के नाम पर कुचल दिया जाता है।
पकिस्तान अपने जन्म से ही मानव अधिकारों को कुचलने के लिए जाना जाता है। उसने सदैव अपने यहाँ पाले हुए आतंकवादियों से दुनिया को आतंकित किया है। और यह जगजाहिर है, कि दुनिया के प्रमुख आतंकवादी संगठनो के ठिकाने पकिस्तान में आसानी से फलफूल रहे है। पकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दशा चिंताजनक है एवं हिन्दू समाज बहुत अधिक समय से प्रताड़ना का शिकार है। पकिस्तान भारतीयों के प्रति सदैव दूषित मानसिकता रखता है। इसका एक ताजा उदाहरण पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय नागरिको को दी जा रही यातनाये, जिसके कारण अब उन भारतीय कैदियों के शरीर की मात्र सांसे चल रही है और शेष तंत्र निर्जीव हो चुका है।
पकिस्तान की कोट लखपत जेल में 14 सालो से बंद डोडा जिले का 39 वर्षीय धर्म सिंह जब रिहा होकर, बीते मंगलवार को भारत – पाक अटारी सीमा पर पंहुचा तो उसने बताया, कि कोट लखपत जेल में बंद 31 कैदियों में से 14 भारतीय बंदी अमानवीय यातनाये सहते सहते मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गए है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी जेलों में भारतीय कैदियों को हमेशा लोहे की जंजीरो से बांधकर रखा जाता है। इसके अलावा उन्हें पूरे दिन भोजन भी नहीं दिया जाता है और खाना मांगने पर बुरी तरह से पीटा जाता है।
पकिस्तान की चंगुल से छूटे धर्म सिंह 2003 में गलती से जम्मू के सांबा सीमा से पकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए थे। जंहा पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया और दो साल तक उन्हें एक कमरे में बंधक बनाकर रखा गया। उसके बाद धर्म सिंह को जासूस बताकर सजा ए मौत की सजा सुना दी गई। किसी प्रकार बाद में इसे टालकर सजा को 14 वर्ष में तब्दील कर दिया गया। पांच वर्ष की सजा पूर्व में काट चुके धर्म सिंह को बाद में बाकी की सजा के लिए कोट लखपत जेल में बंद कर दिया गया।
पकिस्तान जैसे क्रूर और आतंकवादियों को पनाह देने वाले देश से वापस लौट चुके धर्म सिंह अपने आप को बेहद भाग्यशाली मानते है, कि वह भगवान की असीम कृपा से हिन्दुस्थान की धरती पर लौट आये। इसके अलावा वह व्यथित मन से बताते है, कि पकिस्तान की जेल में मारपीट, गालिया, धमकिया रोजाना की बात थी। यह भारतीय कैदियों के लिए एक टॉर्चर सेंटर है, जहां भारतीयों के साथ एक विशेष मकसद के साथ जुल्म किये जाते है।