वैश्विक कोरोना महामारी के कहर से अभी दुनिया किसी प्रकार से निकलने की कोशिश कर ही रही है, कि दुनिया में एक और नई प्रलयकारी महामारी का खतरा मंडराने लगा है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार खतरा कोरोना महामारी से भी अधिक घातक साबित हो सकता है।
48,500-year-old zombie virus revived by scientists in Russia
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— ANI Digital (@ani_digital) November 30, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ्रांस के शोधकर्त्ताओं ने रूस में बर्फ से जमी हुई झील के नीचे से लगभग 48,500 वर्ष पुराने जॉम्बी वायरस (Zombie Virus) को जिंदा किया है। शोध में यह जानकारी सामने आयी है, कि ‘जॉम्बी वायरस’ बहुत अधिक संक्रामक वायरस है, जो अन्य वायरस के मुकाबले तेजी से फैलता है।
‘ब्लूमबर्ग’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने रूस के साइबेरिया इलाके से पर्माफ्रॉस्ट से एकत्रित बेहद पुराने नमूनों का परिक्षण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्त्ताओं ने 13 रोगजनक वायरसों की विशेषता का उल्लेख करते हुए उन्हें जिंदा कर दिया। वैज्ञानिकों ने इसे ‘जॉम्बी वायरस’ नाम दिया गया है।
शोध के दौरान यह जानकारी सामने आई है, कई शताब्दियों तक बर्फ में दफन रहने के बावजूद भी वायरस अत्यंत संक्रामक बने हुए है। ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अत्यंत प्राचीन अज्ञात वायरस के जीवित होने से मनुष्यों, पशुओं, और पेड़-पौधों में खतरनाक रोग उत्पन्न हो सकते है।
प्रारंभिक शोध के अनुसार, वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण स्थायी रूप से जमे हुए वो हिमक्षेत्र भी पिघल रहे है, जो उत्तरी गोलार्ध के एक-चौथाई हिस्से में फैले है। शोधकर्त्ताओं के मुताबिक, “दस लाख सालों तक बर्फ में जमे कार्बनिक पदार्थों के क्षेत्र में पुनर्जीवित सेलुलर रोगाणुओं जैसे प्रोकैरियोट्स, यूनिसेल्यूलर, यूकेरियोट्स के साथ-साथ वायरस भी शामिल है, जो प्रागैतिहासिक कालखंड से निष्क्रिय रहे है।”
उल्लेखनीय है, कि शोधकर्ता एक लंबे वक्त से जलवायु परिवर्तन को दुनिया के लिए एक गंभीर खतरा बता रहे है। पर्यावरणविदों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण जमी हुई बर्फ पिघलने से जलवायु परिवर्तन होगा, जिससे प्रकृति का पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ जाएगा। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन की वजह से जमीन में दबी मीथेन विघटित हो जाएगी, जिससे ग्रीनहाउस पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ेगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग से यह संभावना बेहद प्रबल हो गई है, कि प्राचीन परमाफ्रॉस्ट (बर्फ से ढके क्षेत्र) पिघलने पर कई अज्ञात वायरस धरती से बाहर आ जाएँगे। जिसका सम्पूर्ण विश्व पर बेहद घातक प्रभाव पड़ सकता है। हालाँकि जाँच अभी प्रारंभिक चरण में है। इसके बाद वैज्ञानिक प्रकाश, गर्मी, ऑक्सीजन और अन्य बाहरी पर्यावरणीय वातावरण के संपर्क में आने पर इन अज्ञात विषाणुओं की संक्रामकता के स्तर का आकलन करेंगे।
रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पुराना वायरस जिसे पैंडोरावायरस येडोमा कहा जाता है, जिसकी उम्र 48,500 साल से अधिक बताई जा रही है। इस वायरस ने इन्हीं शोधकर्त्ताओं के दल द्वारा वर्ष 2013 में खोजे गए उस वायरस का भी रिकॉर्ड भी तोड़ दिया, जिसकी उम्र 30,000 साल से अधिक बताई गई थी।