आदिवासी समाज से आने वाली झारखण्ड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के दौरान भाजपा के कई दिग्गज नेता उपस्थित रहे। इसके साथ ही भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी द्रौपदी मुर्मू के नामांकन में पहुंचे। वहीं एनडीए के घटक दल जदयू और बीजू जनता दल के नेता भी नामांकन में शामिल हुए। बता दें, बीजद नेता नवीन पटनायक और आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान पहले ही कर चुके है। इसके अलावा नामांकन के दौरान एनडीए की एकजुटता भी नजर आई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने चार सेट का नामांकन दाखिल किया। उल्लेखनीय है, कि पहले सेट के प्रस्तावक स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे और इसके अनुमोदक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बने। इसके साथ ही इस सेट में भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य समेत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल रहे। इस सेट में 60 प्रस्तावकों और 60 अनुमोदकों का नाम शामिल है। गौरतलब है, कि द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के दौरान जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और जगन मोहन रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस के नेता भी उपस्थित रहे।
Such big moment of pride for Bharat, as the nomination papers for NDA Presidential candidate Smt. Draupadi Murmu ji were filed in presence of Hon'ble PM Shri @narendramodi ji, @BJP4India President Shri @JPNadda ji and NDA leaders. pic.twitter.com/KrIPbQ1ylv
— Bandi Sanjay Kumar (@bandisanjay_bjp) June 24, 2022
वहीं विपक्षी पार्टियों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भी केंद्र सरकार ने जेड+ सुरक्षा उपलब्ध करा दी है। बताया जा रहा है, कि अब 84 वर्षीय यशवंत सिन्हा अब किसी भी स्थान पर जब भी भ्रमण पर जायेंगे, उस समय उनकी सुरक्षा में दस- बारह कमांडो उनके साथ तैनात रहेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जसवंत सिन्हा आगामी 27 जून को राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करेंगे। बता दें, राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान किया जायेगा और 21 जुलाई को वोटों की गिनती के बाद 25 जुलाई, 2022 को राष्ट्र को नया राष्ट्रपति मिलेगा।
उल्लेखनीय है, कि भाजपा में मोदी सरकार के नेत्तृत्व में कई महत्वपूर्ण निर्णय सदैव प्रचलित धारणा से हटकर लिए जाते रहे है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण एनडीए द्वारा घोषित राष्ट्रपति पद उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। सियासी गलियारों में चर्चा है, कि भाजपा आगामी चुनावो में आदिवासी मददताओं को रिझाने के लिए अपने इस फैसले को प्रोजेक्ट कर सकती है। भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने इस बात को दबे स्वर में स्वीकार किया है, कि द्रौपदी मुर्मू की आदिवासी पहचान और उनकी आर्थिक पृष्ठभूमि पर पार्टी ने बेहद गंभीरता से मंथन किया है।