आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंगापुर दौरा आधार में लटक गया है। दरअसल सिंगापुर जाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मंजूरी माँगी थी, जिसे दिल्ली के LG ने यह कहते हुए खारिज कर दिया, कि मेयर की समिट में हिस्सा लेना एक मुख्यमंत्री के लिए ठीक नहीं है।
सिंगापुर यात्रा पर चल रहे सियासी घमासान के बीच उपराज्यपाल द्वारा सीएम केजरीवाल के अनुरोध को ठुकराए जाने के बाद आम आदमी पार्टी में इस बात को लेकर खासा उबाल है। इस मुद्दे पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा है, कि सीएम केजरीवाल को निजी तौर पर ये निमंत्रण दिया गया है, और वे उप राज्यपाल द्वारा बताए गए कारणों से संतुष्ट नहीं है। सिसोदिया ने कहा, कि वो इस मामले में विदेश मंत्रालय के सामने आवेदन करेंगें।
⚡Breaking News – rejected the file related to CM Kejriwal’s visit to Singapore, saying – this is a conference related to the mayor #Delhi #Kejriwal #AamAadmiParty #Singapore #LG
— Kreately.in (@KreatelyMedia) July 21, 2022
उल्लेखनीय है, कि सिंगापुर के हाई कमिश्नर ने ‘वर्ल्ड सिटीज समिट’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सीएम केजरीवाल को आमंत्रण दिया था। सिंगापुर में सीएम केजरीवाल को अगस्त में ग्लोबल लीडर्स के सामने ‘दिल्ली मॉडल’ के बारे में जानकारी देनी थी। उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की सिंगापुर यात्रा के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा, कि मेयर की समिट में हिस्सा लेना मुख्यमंत्री के लिए उचित नहीं है।
वहीं इस मामले में सीएम केजरीवाल ने आरोप लगते हुए कहा है, कि एक महीने पूर्व सिंगापुर यात्रा की मंजूरी मांगी गई थी, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने सिंगापुर दौरे की अनुमति नहीं दी है। सीएम केजरीवाल ने कहा, कि मैं सिंगापुर देश का नाम रोशन करने के लिए जाना चाहता हूँ। सीएम केजरीवाल ने पिछले दिनों कहा था, कि मैं कोई अपराधी नहीं हूँ, बल्कि एक चुना हुआ मुख्यमंत्री और देश का एक आजाद नागरिक हूँ। उन्होंने कहा, कि मुझे सिंगापुर जाने से रोकने का कोई कानूनी आधार नहीं है और मुझे रोकने के पीछ कोई राजनीतिक साजिश लगती है।
उल्लेखनीय है, कि 26 अगस्त 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन सरकार ने दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा था, कि यदि कोई केंद्रीय मंत्री विदेश दौरे पर जाता है, तो उन्हें पीएमओ ऑफिस से मंजूरी लेनी होगी। वहीं निजी यात्रा के दौरान भी केंद्रीय मंत्रियों को एफसीआरए से क्लीयरेंस लेना होगा। इसी प्रकार राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को भी विदेशी दौरे के लिए केंद्रीय सचिवालय और विदेश मंत्रालय से मंजूरी लेने के साथ ही एफसीआरए भी लेना हो