प्रकृति और पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। पेड़ पौधे, पशु पक्षी, मानव और समस्त जीव का संतुलन बना रहे इसके लिए प्राकृतिक धरोहर को बचाना भी आवश्यक है। इसी के अंतर्गत उत्तराखंड के कई लोकपर्व ऐसे हैं, जो मानव को प्रकृति से जोड़ते हैं। इन्हीं प्राकृतिक संस्कृति को बनाए रखने का संदेश देने के लिए हरेला लोकपर्व भी मनाया जाता है।
हरेला सप्ताह के अंतर्गत कलिनरी कॉलेज ऑफ होटल मैनेजमेंट देहरादून में “सावन की हरियाली में एक छोटा सा योगदान” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ कॉलेज के अध्यक्ष विकास कुकशाल ने पौधा रोपण से किया। संस्था की निदेशक रीना कुकशाल ने बताया, कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज को प्रकृति से जोड़ना है।
उन्होंने बताया, कि हरेला पर्व से लेकर पूरे सावन तक धरती को हरा भरा बनाने के लिए हर संभव प्रयास होने चाहिए। इस कार्यक्रम में युवाओं ने आम, अमरूद, अशोक, चंपा, बोगेनवेलिया आदि के पेड़ लगाए और अपने साथियों के साथ उनकी देखभाल करने का निश्चय किया। ‘सावन की हरियाली में एक छोटा सा योगदान’ कार्यक्रम में संस्था से जुड़े सचिन रावत, निखिल भंडारी, डॉली, प्राची, निकिता ने भी सावन में हर घर हरियाली बढ़ाने का संकल्प लिया।