लगभग एक हफ्ते पहले NASA के अंतरिक्ष विज्ञानी ने संभावना जताई थी, कि चीन का एक रॉकेट एक हफ्ते के भीतर धरती से टकराएगा। बता दें, नासा के अंतरिक्ष वैज्ञानिक की आशंका और गणना सच साबित हुई, और चीन का रॉकेट बीते शनिवार रात मलेशिया के नजदीक हिंद महासागर में गिरा। गनीमत रही, कि चीन का रॉकेट जमीन के किसी जनसंख्या वाले इलाके में नहीं गिरा, बल्कि महासागर में जाकर गिरा। इस वजह से जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
उल्लेखनीय है, कि अक्सर चीन पर यह आरोप लगते रहते है, कि उसके देश में बनी वस्तुओं की कोई गारंटी नहीं होती है। इसी क्रम में NASA के अंतरिक्ष विज्ञानी जोनाथन मैक्डॉवेल ने एक हफ्ते पहले एक गणना के बाद ऐसी संभावना जताई थी, कि एक हफ्ते के अंदर चीन का एक रॉकेट अंतरिक्ष से अनियंत्रित तरीके से पृथ्वी की तरफ आएगा और यदि रॉकेट का मलबा किसी आबादी वाली जगह पर गिरेगा, तो उससे भारी तबाही मच सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 24 जुलाई 2022 को चीन ने एक लॉन्ग मार्च रॉकेट (Long March 5B Rocket) को स्पेस में छोड़ा था। जिसने चीन के स्पेस स्टेशन का हिस्सा अंतरिक्ष में पहुंचाया था, लेकिन पिछली बार की घटनाओं की तरह ही इस बार भी चीन का अपने रॉकेट से नियंत्रण हट गया था, और किसी भी समय यह धरती पर कहीं भी गिर सकता था। बता दें, तीन साल में यह तीसरी मर्तबा हो रहा है, जब चीन का रॉकेट स्पेस में जाता तो नियंत्रित तरीके से है, लेकिन जब वापस लौटता है, तो आउट ऑफ कंट्रोल हो जाता है।
एयरोस्पेस ने अपनी की रिपोर्ट में कहा था, रॉकेट का वजन 22.5 टन है, और वह अनियंत्रित रूप से पृथ्वी पर लौट रहा है, रॉकेट के मलबे के गिरने से अमेरिका के साथ-साथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया का क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। हालाँकि चीन का रॉकेट शनिवार रात मलेशिया के पास हिंद महासागर में जा गिरा। मलेशिया के कुचिंग शहर से कई लोगो ने इसकी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किये है।
meteor spotted in kuching! #jalanbako 31/7/2022 pic.twitter.com/ff8b2zI2sw
— Nazri sulaiman (@nazriacai) July 30, 2022
गौरतलब है, कि वर्तमान में स्पेसएक्स (SpaceX) जैसी कंपनियां रीयूजेबल रॉकेट का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन चीन जैसा शक्तिशाली देश अपने रॉकेटों से प्रत्येक वर्ष दुनिया के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है। बता दें, भारत में ISRO का PSLV रॉकेट है, लेकिन भारतीय रॉकेट के साथ कभी इस प्रकार की घटना का जिक्र देखने को नहीं मिलता है। वही चीन पिछले तीन साल से पूरी दुनिया को डरा रहा है, भय का वातावरण बना रहा है।