मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार (6 अगस्त 2022) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव से शिष्टाचार मुलाकात की। इस दौरान उत्तराखंड के सीमांत और दूरस्थ क्षेत्रों में संचार नेटवर्क सुदृढ़ करने के लिए संचार मंत्रालय ने बीएसएनएल के 1206 टॉवरों को अनुमति प्रदान की है। इसके अलावा केंद्रीय रेल मंत्रालय उत्तराखंड में रेलवे नेटवर्क को और अधिक मजबूत करने के लिए सहमत है।
Delhi | Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami met Union Railways & IT minister Ashwini Vaishnaw. CM Dhami discussed various infra projects related to railways & IT sector in Uttarakhand pic.twitter.com/URRjjfr6Su
— ANI (@ANI) August 6, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के समक्ष पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में मोबाइल नेटवर्क की समस्या की बात उठाई। इस पर केंद्रीय मंत्री ने पूर्व में किये अनुरोध पर संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड के लिए बीएसएनएल के 1206 मोबाइल टावर की स्वीकृति प्रदान करने पर सहमति जताई। बता दें, प्रत्येक मोबाइल टावर की लागत एक करोड़ रुपए तक आएगी।
सीएम धामी ने अपने ट्विटर सन्देश में लिखा, कि पूर्व में किये गए अनुरोध को स्वीकार करते हुए उत्तराखण्ड के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों हेतु लगभग ₹1200 करोड़ से भी अधिक लागत के 1206 बीएसएनल मोबाइल टावर स्वीकृत करने पर मा. केंद्रीय मंत्री जी का समस्त प्रदेशवासियों की ओर से हार्दिक आभार। सीएम धामी ने लिखा, निश्चित तौर पर इन टावरों के लगने से सुदूरवर्ती एवं पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के सशक्त होने के साथ ही शिक्षा, व्यवसाय जैसे अनेक क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी।
निश्चित तौर पर इन टावरों के लगने से सुदूरवर्ती एवं पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के सशक्त होने के साथ ही शिक्षा, व्यवसाय जैसे अनेक क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 6, 2022
जानकारी के लिए बता दें, उत्तराखंड के 1202 गांवों अभी भी 4G नेटवर्क सुविधा से महरूम है। इनमें टिहरी के 113, पिथौरागढ़ के 244, उत्तरकाशी में 148, चमोली के 123, बागेश्वर के 97, अल्मोड़ा 28, , चंपावत 103, देहरादून 55, पौड़ी के 195, हरिद्वार के 05, नैनीताल के 59, रुद्रप्रयाग के 24, और यूएसनगर के 03 गांव शामिल है। इसके साथ ही करीब 400 गांव ऐसे भी है, जहां संचार का कोई नेटवर्क उपलब्ध नहीं है।