राष्ट्र के 14वें उप-राष्ट्रपति के रूप में एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को चुन लिया गया है। उन्होंने विपक्ष की प्रत्याशी मार्गरेट अल्वा को 346 वोटो से हराकर इस पद पर जीत हासिल की है। जगदीप धनखड़ को उप-राष्ट्रपति चुनाव में 725 से कुल 528 वोट प्राप्त हुए। जबकि विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के हिस्से सिर्फ 182 वोट ही पड़े। इसी बीच राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई अन्य दिग्गज नेताओं ने जगदीप धनखड़ को बधाई दी है।
Delhi | NDA candidate Jagdeep Dhankar won by 346 votes as he bagged 528 of the total 725 votes that were cast. While 15 were termed invalid, Opposition candidate Margret Alva received 182 votes in the election: LS Gen-Secy Utpal K Singh pic.twitter.com/ZNHcbmftAU
— ANI (@ANI) August 6, 2022
जगदीप धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में आगामी 11 जुलाई को पद की शपथ लेंगे। बता दें, वर्तमान उप- राष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है, एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को जीत के बधाई देने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनसे मिलने पहुंचे।
उल्लेखनीय है, कि उप-राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम आने से पहले ही एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ की जीत तय मानी जा रही थी। ऐसा इसलिए माना जा रहा था, क्योंकि दोनों उच्च सदनों में मौजूद आँकड़ों के अनुसार बहुमत के लिए 388 वोट की जरूरत होती है, और इस बार अकेले बीजेपी के पास ही दोनों सदनों के सदस्यों को मिलाकर संख्या 390 (लोकसभा में 303 सांसद और राज्यसभा में 93 सांसद) के ऊपर थी।
इसके अलावा जगदीप धनखड़ को बीजद, शिवसेना, तेदेपा, बसपा और अन्नाद्रमुक जैसे दलों का भी समर्थन मिल गया था। इस तरह एनडीए अपने प्रत्याशी के लिए 528 वोट जुटाने में सफल रहा। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 55 सांसदों ने वोटिंग के अधिकार का प्रयोग नहीं किया। इनमें से टीएमसी के 34 सांसद शामिल थे। टीएमसी के चुनाव में वोटिंग ना करने से मार्गरेट अल्वा को मिलने वाले वोट और भी कम हो गए।
जानकारी के लिए बता दें, राजस्थान के झुंझुनू जनपद में एक दूरस्थ किठाना गांव में किसान परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति तक का सफर बेहद दिलचस्प है। जगदीप धनखड़ साल 1989 में जनता दल पार्टी के सांसद के तौर पहली बार राजस्थान के झुंझुनू क्षेत्र से संसद में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी। वहीं धनखड़ 1993 में अजमेर जिले के किशनगढ़ से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। साल 2019 में उन्हें केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।