पुष्कर धामी सरकार ने खनन पर एक बड़ा निर्णय लिया है। उत्तराखंड में हो रही भारी बरसात के मद्देनजर धामी सरकार ने पुलों के नजदीक खनन पर रोक लगा दी है। लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु द्वारा आदेश जारी कर कहा है, कि खनन नीति के अंतर्गत प्रदेश में अनेक स्थानों पर खनन की अनुमति दी जाती है, लेकिन खनन के लिए निर्धारित स्थानों के साथ ही नदियों पर बने पुलों के आसपास भी बड़े स्तर पर खनन किया जा रहा है।
जिलाधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया है, कि पुलों के नजदीक खनन करना खनन नीति का उल्लंघन है। इससे नदियों के ऊपर बने पुलों की बुनियाद कमजोर हो रही है। इसलिए नदी क्षेत्र में बने पुलों के दोनों तरफ एक-एक किमी तक मिट्टी, रेत, बजरी, पत्थर आदि के खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध किया जाता है। आदेश में सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है, कि पुलों के दोनों ओर एक किमी क्षेत्र तक खनन करते हुए यदि कोई पकड़ा जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
उल्लेखनीय है, कि उत्तराखंड में पिछले पांच सालों के दौरान लगभग 35 पुलों को नुकसान पंहुचा है। इसमें से कुछ पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए है, जबकि कई की सुरक्षा दीवार आदि को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा है। इसमें से कई पुल नए बने थे। लोक निर्माण विभाग ने इन पुलों के क्षतिग्रस्त होने के पीछे नदी में पुलों के नीचे और आसपास बड़े स्तर पर खनन को जिम्मेदार माना था। बता दें, इस वर्ष मानसून सीजन में राज्य के विभिन्न जिलों में अतिवृष्टि के कारण कई पुलों को नुकसान पहुंचा है।
पिछले वर्ष क्षतिग्रस्त रानीपोखरी पुल के एक पिलर के कमजोर होने की मुख्य वजह से पुल के नीचे खनन को माना गया था। इसके साथ ही इस साल की आपदा में रायपुर पुल की एप्रोच रोड के टूटने के पीछे भी खनन को मुख्य कारण माना जा रहा है। प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने कहा है, कि इस मानसून सीजन में नदी क्षेत्र में बने तमाम पुलों को अनियंत्रित खनन के कारण नुकसान पहुंचा है। इससे पुलों की बुनियाद कमजोर पड़ जाती है। पुलों की सुरक्षा के मद्देनजर जिलाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए है।