कथित पशु अधिकारों और पर्यावरण के लिए कार्य करने का दावा करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था पेटा (PETA) ने महिलाओं से अपील की है, कि वो मांसाहारी पुरुषों के साथ रोमांस या सेक्स ना करें। PETA की अधिकारी डॉक्टर कैरिज बेनेट ने दावा किया, कि पुरुषों का कार्बन फूटप्रिंट 40 फीसदी से ज्यादा है, क्योंकि वो महिलाओं के मुकाबले ज्यादा मांस का सेवन कर रहे है।
Hold men accountable!
This may be the only solution to the climate catastrophe 😉 pic.twitter.com/qqU5g52yq9
— PETA (@peta) September 23, 2022
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पेटा संस्था के अनुसार, जर्मनी में लड़कियों से कहा जा रहा है, कि वो अपने प्रेमी या पति के साथ तब तक सेक्स ना करें, जब तक वो मांस भक्षण करना ना छोड़ दे। डॉक्टर बेनेट ने ‘टाइम्स रेडियो’ से बात करते हुए कहा, हर साल हम 100 करोड़ मुर्गे, गाय और सूअर को मार डालते है। महिलाओं को पुरुषों के विरुद्ध ‘सेक्स स्ट्राइक’ कर देना चाहिए। ग्रीनहाउस गैस के 40 फीसदी उत्सर्जन के लिए ये पुरुष ही जिम्मेदार है।
PETA calls for women to go on sex strike against men who eat meat https://t.co/t8dJGR8mFX pic.twitter.com/71rfVMPIAX
— New York Post (@nypost) September 24, 2022
डॉक्टर बेनेट ने कहा, कि महिलाओं को मांसाहारी पुरुषों के साथ सेक्स नहीं बनाने चाहिए। सेक्स को एक जरिये के तौर में उपयोग किया जाना चाहिए।” PETA ने कहा है, कि सभी सब-अर्बन पुरुषों के बारे में पता है, कि वो एक हाथ में बियर रखे रहते है, और अपने महँगे गैस चूल्हे पर मांस को पकाते रहते है।
"Men should be held accountable. We're still killing one billion chickens, cows, and pigs every year."
Women should 'go on sex strike' as men 'are responsible for over 40% more greenhouse gas emissions', a PETA campaign in Germany says. Dr Carys Bennett discusses on #TimesRadio. pic.twitter.com/pMyJ92ich7
— Times Radio (@TimesRadio) September 22, 2022
उल्लेखनीय है, कि हिंदू पर्व पर कथित ज्ञान बांटने वाली और बकरीद पर बकरे काटे जाने पर चुपी सधाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ने पुरुष विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए कहा, कि ये पुरुष ऐसा सोचते है, कि वो मांस खाने की क्षमता से ही विश्व के सामने अपनी ‘Masculinity (मर्दानगी)’ सिद्ध करेंगे। PETA ने दावा किया, कि ये पुरुष न सिर्फ जानवर, बल्कि इस सम्पूर्ण पृथ्वी को नुकसान पहुँचा रहे है।
गौरतलब है, कि अपने आप को पशु अधिकारों का हितैषी बताने वाली PETA संस्था भारत में लंपी वायरस से गौमाता की हो रही मृत्यु पर चुपी साध रखी है और पीड़ित पशुओं के लिए ढेले भर का काम भी नहीं कर रही है। बता दें, एक भी PETA कार्यकर्ता या अधिकारी को पीड़ित गौमाता की सेवा के लिए आगे नहीं आया, जबकि इस बीमारी से अब तक लगभग 60,000 से अधिक गोवंशों की मृत्यु हो चुकी है।