लेखक – कैलाश रावत
(ये लेखक के स्वतंत्र विचार है)
हम लोग हमारे दैनिक जीवन में कई प्रकार की दवाएं और सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओ का उपयोग कर रहे है। लेकिन क्या हमें ये पता होता है की वे शाकाहारी या मांसाहारी हैं। आप पूछ रहे होंगे कि दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के विषय में शाकाहारी या मांसाहारी का क्या संबंध है। जानकारी के लिए बता दे जिलेटिन एक ऐसा तत्व है जिसका प्रयोग आमतौर पर दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों के उद्योग में किया जाता है
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आइए सबसे पहले बात करते हैं, जिलेटिन होता क्या है
जिलेटिन एक प्रोटीन है और यह आमतौर पर पशु उत्पाद से प्राप्त होता है जो त्वचा, हड्डियों और जानवरों के संयोजी ऊतकों (Connective Tissue) से निकाले गए कोलेजन के आंशिक हाइड्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है। और एक पारभासी, रंगहीन, स्वादहीन कार्बनिक सामग्री है। सूखने पर यह कुरकुरा, भुरभुरा होता है और नम होने पर लिसलिसा, चिपचिपा होता है।
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यह कहां पाया जाता है
यह पालतू जानवरों, गाय, चिकन, सूअर और मछली जैसे जानवरों की त्वचा, हड्डियों और संयोजी ऊतकों से निकाला जाता है। यह पौधों से प्राप्त किया जा सकता है लेकिन प्रक्रिया लंबी और महंगी होने के कारण इसका उपयोग काम ही किया जाता है। इसलिए जाहिर है कि जिसकी लागत कम होगी उसकी मांग बाजार में अधिक होगी।
जानवरो के शरीर से प्राप्त जिलेटिन का उपयोग सबसे पहले 15 वीं शताब्दी में मध्यकालीन ब्रिटेन के दस्तावेजों में मिलता है। जहां जेल या जिलेटिन नामक वस्तु को उत्पादन करने के लिए मवेशियों के खुरों को उबाला जाता था। जिलेटिन का प्रयोग भोजन बनाने में , दवाओं, कैप्सूल और सौंदर्य प्रसाधन में एक जेलिंग एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है। सौंदर्य प्रसाधन में, यह क्रीम, शैंपू, कंडीशनर और मॉइस्चराइज़र में पाया जा सकता है। चिकित्सा में इसका उपयोग चेहरे के भराव ,झुर्रियों,और मुँहासे के निशान को हटाने के लिए भी किया जाता है। जिलेटिन का उपयोग कैप्सूल बनाने के लिए किया जाता है जिसके अंदर दवाएं भरी जाती हैं।
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जिलेटिन के सेवन और उपयोग में क्या समस्या है
जानवरों से जिलेटिन का उपयोग से उन धार्मिक नियमों, सांस्कृतिक वर्जनाओं को मानने वालो की निष्ठा को ठेस पहुँचता है। जो उपभोक्ता शाकाहारी है और जानवरों से बने जिलेटिन युक्त खाद्य पदार्थ नहीं खाते हैं। और पशु क्रूरता के खिलाफ होने वाली हिंसा में वह अनजाने में सहभागी बन रहे है।
प्रत्येक उपभोक्ता को चीजों का चयन करने और उस उत्पाद के बारे में जानने का अधिकार है जिसका वह उपयोग कर रहा है, की वह वस्तु शाकाहारी तत्वों से बनी है या मांसाहारी। अगर पैकेज्ड फूड निर्माताओं के लिए कलर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य हो सकता है। जैसे कि शाकाहारी के लिए ग्रीन डॉट और मांसाहारी के लिए रेड डॉट, तो ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स के लिए ऐसा क्यों नहीं हो सकता है।