यूपी की योगी सरकार की भांति अब उत्तराखंड में भी गुलामी के प्रतीक चिह्न हटाने के साथ ही विभिन्न शहरों, स्थानों, सड़कों आदि के ब्रिटिशकालीन नामों को बदला जायेगा। बता दें, कि पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जिन पांच प्रणों का उल्लेख किया था, उनमें गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति भी शामिल है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरियाणा के सूरजकुंड में मीडिया कर्मियों ने उनसे इस संबंध में सवाल पूछा था, जिसके जवाब में सीएम धामी ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उत्तराखंड में भी गुलामी के प्रतीक और ब्रिटिशकालीन नाम बदले जाएंगे।
#WATCH | We have given instructions in the state that all symbols of colonialism be renamed, says Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami pic.twitter.com/HVM2B8JONL
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) October 29, 2022
उल्लेखनीय है, कि छावनी परिषद लैंसडौन ने लैंसडौन का नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पारित किया है। पौड़ी जनपद स्थित इस खूबसूरत पहाड़ी नगर का नाम लैंसडौन रखे जाने से पूर्व ‘कालौं का डांडा’ था। स्थानीय निवासी लंबे वक्त से लैंसडौन का नाम कालौं का डांडा रखने की मांग कर रहे है। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान लार्ड लैंसडौन भारत में अंग्रेज वायसराय थे और उन्हीं के नाम पर कालोंडांडा का नाम लैंसडौन रखा गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस दिशा में रक्षा मंत्रालय की ओर से पहले ही कार्रवाई आरंभ हो चुकी है। मंत्रालय ने प्रदेश के सैन्य छावनी वाले क्षेत्रों की सड़कों, भवनों, स्कूलों और अन्य स्थानों के ब्रिटिशकालीन नामों की सूची मांगी है, साथ ही उनके स्थान पर रखे जाने वाले नामों के सुझाव भी देने को कहा है। इस संबंध में सैन्य अधिकारियों को पत्र भेजकर प्रस्ताव देने को कहा गया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने लैंसडौन का नाम परिवर्तन करने के लिए सेना द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत करते हुए कहा, कि भारतीय सेना का अपने संस्थानों के ब्रिटिशकालीन नामों को उनके असली पहचान वाले नामों में बदलने का यह कदम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गुलाम मानसिकता वाली सोच को परास्त करने के अभियान की एक अहम कड़ी है। उन्होंने कहा, धामी सरकार राज्य में ब्रिटिशकाल के उन सभी स्थानों, सड़कों और भवनों के नाम बदलेगी, जो गुलामी की प्रतीक माने जाते है।