उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण देने के लिए संशोधित विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नवंबर माह में होने वाली कैबिनेट बैठक में इस संशोधित प्रस्ताव को अनुमति दी जा सकती है। उल्लेखनीय है, कि वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार ने आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के लिए विधेयक मंजूर किया था, हालाँकि यह विधेयक तब से राजभवन में लंबित था।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले महीने अक्टूबर में विधेयक संशोधन के लिए इसे वापस मंगा लिया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, कार्मिक विभाग ने इस पर न्याय विभाग से सुझाव मांग लिया है। अब संशोधित विधेयक के रूप में इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए लाने की तैयारी है, जिससे आगामी विधानसभा सत्र में इसे पारित कराकर राजभवन की मंजूरी के लिए भेजा जा सके।
राज्य आंदोलनकारियों को क्षैतिज आरक्षण देने को उत्तराखंड में बन रहा प्लान https://t.co/YlGvLHHn7e
— Uttarakhand Jagran (@UttarakhandJag2) November 8, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सीएम धामी ने भी संशोधित विधेयक कैबिनेट में लाने के संकेत दिए है। कार्मिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, विधेयक का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है।
जानकारी के लिए बता दें, उच्च न्यायालय ने अगस्त, 2013 में आंदोलनकारियों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी। 2018 में इसके जीओ, सरकुलर व अधिसूचना को खारिज कर इसे असंवैधानिक करार दिया था। नारायण दत्त तिवारी सरकार ने वर्ष 2004 में आंदोलनकारियों को आरक्षण प्रदान किया था।
इसके तहत सात दिन से अधिक जेल में रहने वाले और घायलों को डीएम के स्तर से सीधे नौकरी का प्रावधान था। वहीं छह दिनों तक जेल में रहने वालों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था। अगस्त, 2010 में निशंक सरकार ने चिह्नित आंदोलनकारियों को और दिसंबर, 2011 में खंडूड़ी सरकार ने आश्रितों को भी आरक्षण की व्यवस्था की थी।