धामी सरकार द्वारा उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू किये जाने के लिए गठित विशेषज्ञों की कमेटी का कार्यकाल 6 माह के लिए और बढ़ा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समान नागरिक संहिता (UCC) पर कमेटी को ढाई लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए है। इन सभी सुझावों का कमेटी द्वारा गहनता से आंकलन किया जायेगा।
➡️UCC कमेटी का बढ़ाया गया कार्यकाल,
➡️मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बढ़ाया कार्यकाल,
➡️27 मई 2023 तक के लिए बढ़ाया गया कार्यकाल…Watch: @pushkardhami @MygovU #UCC #CMDhami #UCCCommittee #uttarakhand #uttarakhandnews #termofcommittee #Jantantratv pic.twitter.com/DS6x6Z9GtY
— MD NEWS ( हिंदी ) (@mdnewshindi) December 4, 2022
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा न्यायाधीश (सेवानिवृत) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित कमेटी के कार्यकाल की अवधि अब 27 मई 2023 तक रहेगी। बता दें, इसी वर्ष मई में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेषज्ञों की समिति का गठन किया था। सीएम धामी ने विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड की जनता से सत्ता में वापसी पर यूसीसी लागू करने का वादा किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समान नागरिक संहिता के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की राज्य भर में अभी तक 30 अहम बैठके हो चुकी है। इसका उद्देश्य ड्राफ्ट तैयार किये जाने को लेकर नागरिकों के सुझाव आमंत्रित करना था। आम नागरिकों से सुझाव लेने के लिए एक वेब पोर्टल भी बनाया गया है।
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए कमेटी के सदस्य अलग-अलग समुदाय के नागरिकों और नेताओं के साथ बैठक करके उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास कर रही है। कमेटी ने हाल ही में पिरान कलियार में मुस्लिमों के साथ इस मुद्दे पर अहम बैठक की थी।
साथ ही सिख समाज के नागरिकों के साथ कमेटी ने उधमसिंह नगर के नानकमाता में बैठक की, जबकि ईसाई समुदाय के साथ नैनीताल में और अखाड़ा परिषद के साथ हरिद्वार में अलग-अलग बैठक ड्राफ्ट में चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी। बताया जा रहा है, कि मुस्लिमों में अभी भी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कुछ संशय बना हुआ है। इसके मद्देनजर कमेटी मुस्लिम समाज की आशंकाओं को दूर करने का लगातार प्रयास कर रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आम नागरिकों के सुझाव पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में भी कुछ सुझाव दिए है। ये सुझाव लैंगिक समानता, महिलाओं की विवाह की उम्र, पैतृक संपत्तियों में बेटियों की हिस्सेदारी, LGBTQ जोड़ों के कानूनी अधिकार और लिव इन रिलेशनशिप से संबंधित है।