उत्तराखंड में सरकारी नौकरी के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करने वाले बेरोजगार युवाओं के सपनों को नकल माफिया चकनाचूर कर रहे है। गौरतलब है, कि पिछले डेढ़ साल से ऐसी कोई भर्ती परीक्षा नहीं रही, जिस पर सवाल खड़े नहीं किये गए है। पूर्व में आयोजित भर्ती परीक्षाओं में हुए घोटालें में अधिकारियों और राजनेताओं की संदिग्ध भूमिका और गठजोड़ की परतें भी खुलकर सामने आई है।
उल्लेखनीय है, कि भर्ती परीक्षाओं को निष्पक्षता से आयोजित करने में नाकाम रहने वाले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग तो बदनाम हो ही चुका है, लेकिन अब जिस उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को भर्ती परीक्षा आयोजित करने का दायित्व सौंपा गया था, उसी के अधिकारी ने युवाओं के भविष्य में सेंधमारी कर दी है। बता दें, लेखपाल भर्ती परीक्षा आयोजित करने की जो जिम्मेदारी सरकार ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से छीनकर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को दी थी, वह भी नकल की भेंट चढ़ गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने मोबाइल से पेपर की फोटो खींचकर इसे लीक कर दिया था। इसके लिए उसने नकल माफिया से 25 लाख रुपये एडवांस भी लिए थे। एसटीएफ अब इस बात की जांच कर रही है, कि पूरा सौदा कितने में तय हुआ था। पेपर लीक प्रकरण के बाद उत्तराखंड लोक सेवा आयोग पर भी सवाल उठाने लगे है, कि आयोग ने गोपनीयता को लेकर प्रभावी और ठोस कदम क्यों नहीं उठाये।
उल्लेखनीय है, कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पटवारी-लेखपाल की भर्ती परीक्षा के लिए पेपर के जितने सेट तैयार किए थे, उनका प्रभारी अतिगोपन विभाग में तैनात अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को बनाया गया था। एसटीएफ के अनुसार, प्रश्नपत्रों के सभी सेट उसी की अभिरक्षा में रख गए थे। भर्ती परीक्षा आठ जनवरी को आयोजित की गई थी। संजीव चतुर्वेदी ने पांच जनवरी को ही पेपर की तस्वीर खींचकर अपनी पत्नी रितु को मोबाइल पर भेज दी थी।
एसटीएफ की अभी तक की जांच में सामने आया है, रितु ने राजपाल और राजकुमार से एडवांस में 25 लाख रुपये लेकर उन्हें पेपर सौंप दिया था। संजीव और रितु ने 35 लाख में पेपर का सौदा तय किया था। इसके बाद अन्य आरोपित राजपाल, संजीव कुमार और रामकुमार ने चार लाख से 12 लाख तक में अन्य अभ्यर्थियों को पेपर बांटे थे।
एसटीएफ की पूछताछ में ये जानकारी भी सामने आई है, कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की भतीजी हरिद्वार के एक कॉलेज से पॉलीटेक्निक कर रही थी। इसी कॉलेज में लेक्चरर राजपाल उसे ट्यूशन पढ़ाता था। इसी दौरान संजीव और राजपाल में पहचान हुई और कुछ समय बाद ये मित्रता में बदल गई। दोनों आरोपित पिछले पांच सालो से दोस्त बताये जा रहे है, और दोनों एक-दूसरे के घर अक्सर आया जाया करते थे।
एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने मीडिया को जानकारी दी है, कि दोस्ती के चलते ही राजपाल ने संजीव चतुर्वेदी को बातों- बातों में इस बारे में संकेत दे दिया था। इसके बाद राजपाल ने अपने अन्य जानकारों के जरिये भर्ती परीक्षा का पेपर लीक कराने का मास्टर प्लान बनाया। इसके बाद सबकी सहमति और रणनीति के बाद पेपर लीक कराकर अभ्यर्थियों के बीच पेपर को बांटा गया।
एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने आम नागरिकों से अपील की है, कि यदि इस परीक्षा की अनियमितता के संबंध में कोई भी जानकारी उपलब्ध है, तो स्वयं आकर अथवा मोबाइल नंबर 9412029536 पर कॉल कर इसकी सूचना दे। उन्होंने बताया, कि जानकारी देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
बता दें, लेखपाल के 536 पदों के लिए बीती 8 जनवरी को हुई लिखित परीक्षा में एक लाख, 58 हजार, 210 अभ्यर्थियों ने पंजीकरण करवाया था। जबकि एक लाख, 14 हजार, 71 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए थे। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित यह भर्ती परीक्षा सभी 13 जिलों में 458 केन्द्रों में कराई गई थी।