शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बीते शनिवार को अपने बांद्रा स्थित आवास मातोश्री पर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, कि पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘धनुष बाण’ चोरी हो गया है, और चोर को सबक सिखाने की जरूरत है। उल्लेखनीय है, कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना मानते हुए पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष बाण पर भी अधिकार दे दिया है।
चुनाव आयोग का यह फैसला उद्धव ठाकरे के लिए एक बेहद तगड़ा झटका माना जा रहा है। यह पहली दफा है, जब 1966 में शिवसेना के गठन के बाद ठाकरे परिवार को पार्टी से नियंत्रण खोना पड़ा है। चुनाव आयोग के निर्णय के बाद शनिवार सुबह मातोश्री पर बड़ी संख्या में उनके समर्थक जुट गए। उद्धव ने कहा, मैं चुनौती देता हूँ, कि वह धनुष बाण चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव मैदान में उतरे, मैं उसका मुकाबला मशाल से करूंगा। उद्धव ठाकरे का संकेत सीएम एकनाथ शिंदे की ओर था।
बता दें, पिछले साल नवंबर में चुनाव आयोग द्वारा उद्धव ठाकरे की पार्टी को मशाल चुनाव चिन्ह आवंटित किया था यह चिन्ह उद्धव के पास 26 फरवरी को पुणे की 2 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव तक ही उपलब्ध है, उसके बाद उन्हें चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन करना पड़ेगा। चुनाव आयोग ने बीते शुक्रवार (17 फरवरी 2023) को निर्णय सुनाते हुए कहा था, कि शिवसेना (उद्धव ठाकरे) का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है। उद्धव ठाकरे गुट ने बिना चुनाव कराए अपने लोगों को अलोकतांत्रिक ढँग से पदाधिकारी नियुक्त किये।
चुनाव आयोग ने अपनी जाँच में पाया, कि 2018 में पार्टी के संविधान को गुपचुप रूप से संशोधित कर दिया गया और इसकी सूचना चुनाव आयोग को नहीं गई गई। चुनाव आयोग ने अपने निर्णय में कहा था, कि इसके कारण यह पार्टी निजी संपत्ति जैसी हो गई। आयोग ने कहा, कि इन तरीकों को चुनाव आयोग 1999 में ही नामंजूर कर चुका था। इसके बाद बाला साहेब ठाकरे ने इसमें लोकतांत्रिक नियमावली को जोड़ा था। पार्टी की ऐसी संरचना अलोकतांत्रिक होती है और विश्वास जगाने में असफल रहती है।
उल्लेखनीय है, कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे के बगावत करने के बाद शिवसेना दो गुट- शिंदे और ठाकरे गुटों में विभक्त हो गई थी। शिंदे के साथ कुल 55 में से 40 विधायकों के आए गए थे। इसके साथ ही शिंदे गुट को 18 में से 13 सांसदों का भी समर्थन मिल गया। आयोग ने अपने निर्णय में इसे भी आधार बनाया। फैसला आने के पहले तक शिवसेना शिंदे गुट और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नाम से जानी जाती थी। चुनाव आयोग ने अपने फैसले में अब शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान तीर-कमान इस्तेमाल करने की अनुमति दी है।