हरिद्वार स्थित पतंजलि ऋषिग्राम में चल रहे संन्यास दीक्षा महोत्सव में बीते बुधवार (29 मार्च 2023) आठवें दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा, कि सनातन संस्कृति प्राचीनतम संस्कृति है, जो विश्व बंधुत्व, आपसी सहयोग, प्रेम और भाईचारे को दर्शाती है, जबकि पश्चयात्य संस्कृति में भोग विलास को महत्व दिया गया है। संघ प्रमुख ने कहा, भगवा मात्र एक रंग नहीं है, यह तो एक सभ्यता, संस्कृति और विचार है।
संन्यास दीक्षा महोत्सव में सम्मिलित होने बुधवार सांय धर्मनगरी पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, कि प्रकाश के प्रथम विस्तार का रंग भी भगवा ही है, प्रातः काल जब सूर्य की किरणें ब्रह्मांड में विस्तार लेती है, तो उनका रंग भगवा ही होता है। उन्होंने कहा, कि भगवा केवल एक रंग नहीं, बल्कि भगवा का एक अर्थ है। यदि भगवा पहनकर कोई जाता है, तो बड़े से बड़ा राज्य भी सम्मान करता है। यदि वह पूरी तरह झुक नहीं सकता, तो कम से कम गर्दन को झुकाकर प्रणाम तो करेगा।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, कि सूर्योदय होते ही मानव नींद छोड़कर दैनिक कार्यो में लग जाते है। कितने भी आलसी हो, दिन के प्रकाश में मनुष्य सो नहीं सकता। यह कर्मशीलता का भी प्रतीक है। संघ प्रमुख ने संन्यास दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों से कहा, कि मैं आपका मार्गदर्शन करूं यह उचित नहीं होगा, आप सब ने बड़ा संकल्प लिया है, मैं इसके लिए आपको शुभकामनाएं और शुभेच्छा देता हूँ। हम आपके सहयोग के लिए है, हर कठिनाई का निवारण करेंगे।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, कि आजकल विश्व में पश्चिम के विकास मॉडल पर पुनर्विचार की आवश्यकता पश्चिम के बुद्धिजीवी भी अनुभव कर रहे है। दुनिया सोच रही है, कि उसे किस ओर जाना है? भारत के पास सनातन परंपरा की व्यवस्था है। उन्होंने कहा, कि कोरोना महामारी के बाद वातावरण अपने आप बदला है। नियति ने ऐसा मोड़ लिया, कि हर किसी को सनातन की तरफ उन्मुख होना ही पड़ेगा।
#WATCH | Haridwar, Uttarakhand | RSS chief Mohan Bhagwat says, "…Today you are taking the resolve to enhance the prestige of saffron colour by donning it. The one that is 'Sanatan' doesn't need any certificate. In English they say, "time proven". It has proven to stand true to… pic.twitter.com/uSlxTcDHvZ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 29, 2023
पतंजलि ऋषिग्राम में चल रहे सन्यास दीक्षा महोत्सव में आठवें दिन योगगुरु बाबा रामदेव ने संन्यास का संकल्प लेने वाले भावी सन्यासियों को संबोधित करते हुए कहा, कि हम सनातन धर्म के पुरोधाओं की श्रृंखला तैयार कर महर्षि दयानंद के स्वप्न को साकार करेंगे। बाबा रामदेव ने कहा, कि पतंजलि के माध्यम से स्वास्थ्य एवं शिक्षा का बहुत बड़ा आंदोलन चलाया जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के माध्यम से शिक्षा क्रांति का शंखनाद हो गया है।
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा, कि इस कार्य में पतंजलि के सन्यासियों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रहेगी। स्वदेशी शिक्षा तंत्र का महर्षि दयानंद और स्वामी विवेकानंद समेत सभी क्रांतिकारियों का सपना स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद पतंजलि पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा, कि राष्ट्र स्वतंत्र हो गया है, लेकिन शिक्षा और चिकित्सा तंत्र स्वदेशी है ही नहीं। गुलामी की रस्मों और उसकी निशानियों को मिटाना है और यह कार्य संन्यासी ही कर सकते है।