उत्तराखंड में सूरज की बढ़ती तपिश ने तमाम चुनौतियां खड़ी कर दी है। मैदानी इलाको से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में लोग भीषण गर्मी का सामना कर है। जंगलो पर आग का खतरा लगातार मंडरा रहा है। पिछले चौबीस घंटे के अंतराल में औसतन डेढ़ दर्जन से अधिक आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी है। आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में अब तक 200 हेक्टेयर से ज्यादा वन क्षेत्र आग की चपेट में आ चुका है।
मौसम का रुख बदलने के साथ ही एक बार फिर उत्तराखंड के जंगल धधकने लगे है। मौसम में आए बदलाव के कारण तापमान लगातार बढ़ रहा है। शहरों में तापमान लगभग 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ में 26 सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। इसका असर वनाग्नि पर भी नजर आने लगा है। मंगलवार को प्रदेशभर में 18 स्थानों पर जंगल में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं है।
मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार (18 अप्रैल 2023) को गढ़वाल मंडल में पांच और आरक्षित वन क्षेत्रों में 13 स्थानों पर वनाग्नि की घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें लगभग 29 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिसमें 48570 रुपये की आर्थिक क्षति का आंकलन किया गया है।
मुख्य वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने मीडिया को जानकारी दी, कि मौसम में आए बदलाव के बाद वनाग्नि की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। सभी प्रभागों को अलर्ट पर रहने के आदेश जारी कर दिए गए है।
वहीं मौसम के मिजाज ने बिजली और पानी की आपूर्ति को लेकर भी गंभीर चिंता में डाला हुआ है। कमोबेश यही हालात बिजली आपूर्ति की भी है। प्रदेश में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, लेकिन इस अनुपात में विद्युत आपूर्ति उपलब्धता नहीं होने के चलते नागरिक घोषित और अघोषित कटौती झेलने के लिए विवश है।