अंतरिक्ष वैज्ञानिको के अनुसार, इस हफ्ते सूरज की सतह पर हुए एक बड़े धमाके के चलते अरबों टन प्लाज्मा निकला है। इस विस्फोट को कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के तौर पर जाना जाता है, जिससे सूर्य के दक्षिण-पश्चिम चतुर्भुज से निकल रहा प्लाज्मा शक्तिशाली सौर हवाओं की सहायता से पृथ्वी की ओर धकेल रहा है।
वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार, पार्टिकल्स में पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों को बाधित करने की 50 फीसदी और ब्लैकआउट करने की 10 प्रतिशत संभावना होती है। स्ट्रीम में पॉवरफुल रेडिशन होने कारण यह पृथ्वी की टेक्नालॉजी को बाधित कर सकता है।
A gorgeous prominence has erupted from the eastern limb of the sun. pic.twitter.com/ZYAr0DEmS3
— Edward.Vijayakumar (@edwanx) April 24, 2023
सौर हवाओं के कारण G1 भू-चुंबकीय तूफान बनने की आशंका जताई जा रही है, जो अंतरिक्ष में परिक्रमा करने वाले उपग्रहों को प्रभावित कर सकता है। कोरोनल मास इजेक्शन में सूर्य की सतह से अरबों टन कोरोना मटेरियल छोड़ने की क्षमता है। प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र पदार्थ बनाते है और इस तरह के विस्फोटों में अंतरिक्ष मौसम को बाधित करने की ताकत भी होती है। इसके अलावा यह अंतरिक्ष में जाने वालों के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है।
सूर्य की स्थिति पर शोध करने वाली यूरोपीय स्पेस एजेंसी की सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला ने इसे कैप्चर किया है। एजेंसी के अनुमान के अनुसार, सीएमई कण केवल संयोग से पृथ्वी से टकरा रहे हैं, क्योंकि स्ट्रीम हमारे ग्रह के सामने एक कोरोनल छेद से निकली थी।
सौर तूफान को वैज्ञानिकों ने G1 से लेकर G5 तक कुल 5 श्रेणियों में विभाजित किया है। G1-श्रेणी का सौर तूफान बेहद हल्का होता है। इससे हानि पहुंचने की आशंका बेहद कम होती है, जबकि G5-श्रेणी का सौर तूफान बेहद शक्तिशाली होता है। इसके साथ ही सौर तूफान सैटेलाइटों को काफी नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसकी वजह से मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाएँ भी बाधित हो सकती है। अत्यधिक शक्तिशाली होने पर ये पावर ग्रिड और पृथ्वी आधारित संवेदनशील इलेक्ट्रॉनिक्स को भी नुकसान पहुँचा सकते है।