लगभग 25 सालों से बंद पड़े ऋषिकेश-बदरीनाथ पैदल मार्ग को ट्रैकिंग रूट के रूप में विकसित किया जा रहा है। रूट के तैयार होने के बाद ट्रैकिंग के जरिये यात्री इस पैदल पथ से यात्रा कर सकेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रैक को विकसित करने का कार्य लगभग 70 प्रतिशत तक पूर्ण हो चुका है। करीब आठ लाख की लागत से विकसित हो रहा यह ट्रैक 16 किमी लंबा बताया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, जिलाधिकारी पौड़ी डॉ. आशीष चौहान द्वारा बीते 24 मार्च को ऋषिकेश-बद्रीनाथ पैदल यात्रा मार्ग को ट्रैकिंग के लिए विकसित करने के लक्ष्य से रूट का जायजा लिया था। डीएम ने पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लॉक के सिमालू गांव से यमकेश्वर ब्लॉक के नांद गांव तक पैदल यात्रा मार्ग पर पदयात्रा करते हुए ट्रैकिंग की संभावनाएं तलाशी थी।
इस दौरान जिलाधिकारी के साथ लोनिवि, पर्यटन विभाग, राजस्व विभाग समेत अन्य विभागों के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे थे। डीएम सिमालू से नौडखाल तक 22 किलोमीटर पैदल चले थे। जानकारी के अनुसार, इस पैदल यात्रा मार्ग पर पहले ऋषिकेश से संत समाज श्री बद्रीनाथ व श्री केदारनाथ की तीर्थ यात्रा करते थे, लेकिन लगभग 25 साल पहले इस मार्ग पर पैदल तीर्थयात्रियों का आवागमन लगभग बंद सा हो गया।
जिलाधिकारी द्वारा इस पैदल मार्ग को ट्रैकिंग रूट के रूप में विकसित करने हेतु पर्यटन विभाग से आठ लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, 16 किलोमीटर पैदल ट्रैक में से लगभग 12 किलोमीटर ट्रैकिंग रूट तैयार हो गया है। उल्लेखनीय है, कि इसी ट्रैकिंग रूट पर एक मार्ग पहाड़ पर बनाया गया है। जिस पर कई विदेशी पर्यटक डॉक्यूमेंटरी भी बना चुके है। यहाँ पर एक वाटर फॉल भी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ट्रैकिंग रूट पर सिमालू, रामपाठी वाटर फॉल, महादेव चट्टी, विजयपुर (बलोगी) ढांगूगढ़, बंदरचट्टी, नांद गांव में पड़ाव पड़ेगे। वहीं ऋषिकेश की ओर से नौडखाल तक वाहन से पंहुचा जायेगा। इसके बाद नौडखाल से पैदल ट्रैकिंग करते हुए नांद गांव-बंदरचट्टी, ढांगूगढ़- विजयपुर(बलोगी), महादेवचट्टी, रामपाटी वाटर फॉल, कोटली भेल, सिमालू (16 किमी) की पैदल यात्रा की जा सकेगी।
वहीं देवप्रयाग की ओर से देवप्रयाग से सिमालू तक वाहन द्वारा इसके बाद सिमालू से पैदल कोटलीभेल-रामपाटी फॉल, महादेवचट्टी- विजयपुर(बलोगी)- ढांगूगढ़-बंदरचट्टी से यात्री ट्रैकिंग करते हुए नांद गांव पहुँचेंगे।
अधिशासी अभियंता,लोनिवि लैंसडौन प्रेम सिंह बिष्ट के अनुसार, बद्रीनाथ पैदल यात्रा मार्ग को सिमालू से नांद गांव तक 16 किलोमीटर ट्रैकिंग रूट के रूप में विकसित करने के लिए आठ लाख रुपये स्वीकृत हुए थे। अभी तक 70 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य हो गया है। शीघ्र ही ट्रैक को यात्रियों के आवागमन के लिए तैयार कर लिया जाएगा।
वहीं स्थानीय स्तर पर पर्यटन के जरिये रोजगार जुटाने वाले लघु कारोबारियों ने सिमालू से नांद गांव तक बद्रीनाथ पैदल यात्रा मार्ग को ट्रैकिंग रूट के रूप में विकसित किये जाने को सराहनीय पहल बताया है। उन्होंने कहा, कि इस पैदल यात्रा मार्ग को ट्रैकिंग के रूप में विकसित करने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, और ट्रैकिंग से जुड़े स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।