उत्तराखंड परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है, कि सफेद नंबर प्लेट लगाकर बाइकों का व्यावसायिक इतेमाल नहीं किया जा सकेगा। सड़कों पर बाइक टैक्सी के संचालन को लेकर एक नोटिस भी जारी किया गया है, जिसमें कंपनी के मालिक से लेकर बाइक टैक्सी चलाने वाले चालक तक को चेतावनी दी गई है।
इस आदेश पर रैपिडो कंपनी ने आपत्ति जताकर नियमों का हवाला दिया, लेकिन परिवहन विभाग ने स्पष्ट तौर पर कहा है, कि प्रावइेट नंबर प्लेट वाली गाड़ी पर सवारी का बीमा नहीं होता, वहीं बगैर व्यावयासिक पंजीकरण के महिलाओं का बाइक टैक्सी में सफर करना भी सुरक्षित नहीं है। इसलिए बगैर पीली नंबर प्लेट के बाइक टैक्सी का संचालन नहीं हो सकेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देहरादून समेत अन्य शहरों में कई कंपनियां प्राइवेट बाइक टैक्सी का संचालन कर रही हैं। इनमें बड़ी संख्या में बाइकों को सफेद नंबर प्लेट के साथ सड़को पर दौड़ाया जा रहा है। परिवहन विभाग ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए रैपिडो कंपनी की 20 बाइक टैक्सीयों के विरुद्ध कार्रवाई की है। आरटीओ सुनील शर्मा ने कहा, कि सफेद नंबर प्लेट लगाकर बाइकों का व्यावसायिक प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इस कार्रवाई के खिलाफ कंपनी की बंगलुरु से आई टीम ने नियमों का हवाला देकर कहा, कि पीली नंबर प्लेट बाइक टैक्सी के लिए अनिवार्य नहीं है। दरअसल, दिल्ली में प्राइवेट बाइक टैक्सी कंपनियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को निर्देश दिए, कि वो पहले कैब कंपनियों के लिए पॉलिसी बनाए। जब तक पॉलिसी नहीं बनती, तब तक इन कंपनियों के खिलाफ कोई कदम न उठाया जाए। इसी आदेश का हवाला बाइक टैक्सी कंपनियां उत्तराखंड में भी दे रही है।
बता दें, दिल्ली परिवहन विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर बाइक पर सवारी ढोने वालों पर रोक लगा दी थी। इस आदेश में कहा गया था, कि मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अंतर्गत दो पहिया वाहनों पर सवारी ढोना दंडनीय अपराध है। पहली बार इस नियम का उल्लंघन करने पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि दूसरी बार में यह जुर्माना दोगुना होकर 10 हजार रुपए हो जाएगा।
इस मामले में रैपिडो और उबर कंपनियों ने दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग के नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कैब, बाइक रैपिडो और उबर जैसी कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए परिवहन विभाग द्वारा जारी किए नोटिस पर रोक लगा दी थी।