चंद्रयान-2 ने चन्द्रमा की कक्षा में परिक्रमा लगाते हुए एक वर्ष पूरे कर लिए है। इस अवसर पर भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने मिशन से जुड़े शुरुवाती डेटा सेट जारी करते हुए अपने बयान में कहा कि भले ही विक्रम लैंडर को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता नहीं मिली। लेकिन ऑर्बिटर ने चंद्रमा के चारों ओर 4400 परिक्रमाएं पूरी कर ली हैं और सभी आठ ऑन-बोर्ड उपकरण अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
ऑर्बिटर में लगे उच्च तकनीक वाले कैमरों की मदद से चन्द्रमा के बाहरी वातावरण और उसकी सतह के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
इसरो द्वारा बताया गया कि चंद्रयान-2 के पास अगले सात वर्षों के संचालन के लिए पर्याप्त ईंधन है। अंतरिक्ष यान की सभी उप-प्रणालियों का प्रदर्शन सामान्य है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार जब कोई भी उपग्रह या अंतरिक्ष यान किसी निश्चित कक्षा में अंतरिक्ष में होता है। तो वह एक निश्चित सतह पर जोर-जोर से हिलता है और निर्धारित रास्ते से कुछ सौ मीटर या कुछ किलोमीटर आगे बढ़ जाता है।
भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को चंद्रमा की सतह पर बड़ी मात्रा में पानी और उप-सतह धुर्वीय पानी-बर्फ के संकेत खोजने का श्रेय जाता है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो चंद्रयान-3 पर भी काम कर रहा है इसके 2021 या उसके बाद लॉन्च होने की संभावना है।