भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा, कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ अगस्त के अंत में लॉन्च किया जाएगा, जबकि मानव रहित मिशन अगले साल लॉन्च होगा। उन्होंने कहा, गगनयान मिशन के लिए हमने एक नया रॉकेट बनाया है, जो श्रीहरिकोटा में तैयार है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इसरो अध्यक्ष सोमनाथ से गगनयान के बारे में नवीनतम जानकारी पूछे जाने पर उन्होंने मीडियाकर्मियों को बताया, “गगनयान के लिये पहली और सर्वप्रमुख चीज यह है, कि निरस्त किए गए मिशन को अंजाम तक पहुंचाया जाए। उसके लिये हमनें परीक्षण वाहन नाम से एक नया रॉकेट बनवाया है, जबकि क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम के संयोजन की अभी तैयार हो रही है।”
परम विक्रम-1000, एक उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) सुविधा या एक सुपर कंप्यूटर के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष सोमनाथ ने मिशन की प्रमुख चुनौतियों के बारे में सवाल पूछे जाने पर जानकारी दी, कि गगनयान परियोजना में चालक दल के सदस्यों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।
#ISRO to launch 2 missions in next 2 months#GSLV MK3 with #Chandrayan 3 mission will likely be launched in the window from 12th July to 25th July.#PSLV C56 carrying #Aditya L1 will be launched in the window starting from 23rd July to 21st August.#IADN pic.twitter.com/4klDuzOLDf
— Indian Aerospace Defence News – IADN (@NewsIADN) June 23, 2023
उन्होंने कहा, “चूंकि मानव मिशन का हिस्सा होंगे, इसलिए चालक दल की सुरक्षा सर्वोपरि हो जाती है। इसके लिए, हम दो और अतिरिक्त चीजें कर रहे है, पहला जिसे क्रू एस्केप सिस्टम कहा जाता है। इसका उद्देश्य है, कि यदि रॉकेट में कोई आकस्मिक स्थिति उत्पन्न होती है, तो सिस्टम सक्रिय हो जाना चाहिए जबकि दूसरी एकीकृत वाहन स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली है।”
इसरो प्रमुख ने बताया, कि ‘क्रू एस्केप’ एक पारंपरिक इंजीनियरिंग समाधान है, जिसमें कंप्यूटर (गड़बड़ी का) पता लगाता है और प्रणोदन प्रणाली को प्रक्षेपण के लिए कहता है, ताकि आप (चालक दल) दूर चले जाएं। उन्होंने कहा, कि दूसरी प्रणाली अधिक बुद्धिमान है, जो बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सूविज्ञ निर्णय लेती है।
उन्होंने कहा, “आपको ऐसी प्रणालियों को विकसित करने के साथ-साथ परीक्षण करने की भी जरुरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि वे बिना किसी संदेह के काम करेंगी, इसलिए गगनयान कार्यक्रम में, हम यह जाने बिना अंतिम मिशन में नहीं जाएंगे, कि हम इसके लिए कितने तैयार है।”