देहरादून के क्लेमेंटटाउन क्षेत्र में टर्नर रोड स्थित मकान में मृत मिले दंपती काशिफ और अनम की मौत का राज खुल गया है। पुलिस ने बीते शुक्रवार को डबल मर्डर केस में खुलासा करते हुए बताया, कि दंपति ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उनका कत्ल किया गया था। पुलिस ने मृतका अनम के भाई शहबाज को गिरफ्तार कर लिया है। शहबाज की निशानदेही पर पुलिस ने खून से सने कपड़े और एक बाइक भी बरामद की है।
देहरादून पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी है, “क्लेमेन्टाउन क्षेत्र में हुए डबल मर्डर का दून पुलिस ने किया खुलासा, घटना को अंजाम देने वाले अभियुक्त को क्लेमेन्टाउन पुलिस ने किया गिरफ्तार।”
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— Dehradun Police Uttarakhand (@DehradunPolice) June 23, 2023
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनम का भाई शहबाज काशिफ को अपने अब्बा की मौत और परिवार की बेइज्जती के लिए जिम्मेदार मानता था। वह पिछले आठ वर्षो से काशिफ की हत्या की योजना बना रहा था। बीती 10 जून को शहबाज को आखिरकार यह मौका मिल ही गया और उसने देर रात काशिफ के घर जाकर उसकी गला रेतकर और बहन अनम की गला घोंटकर हत्या कर दी। नवजात को उसने यह सोचकर छोड़ दिया, कि वह खुद मर जाएगा।
एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने बीते शुक्रवार को प्रेस वार्ता में बताया, कि काशिफ निवासी नांगल सहारनपुर पत्नी अनम के साथ टर्नर रोड स्थित मकान में रहता था। अनम उसकी दूसरी पत्नी थी, जिससे उसने 11 माह पहले ही निकाह किया था। काशिफ अपनी पहली बेगम के भी संपर्क में रहता था। उसकी पहली पत्नी काशिफ द्वारा कई दिनों से फोन ना उठाने के चलते उसे तलाशती हुई देहरादून पहुंची थी।
13 जून को पुलिस जब सूचना पर काशिफ के मकान पर पहुंची, तो कमरे के अगले दरवाजे पर ताला लटका था और पिछला दरवाजा भी अंदर से बंद था। इसके बाद पुलिस जैसे-तैसे पिछले दरवाजे की जाली काटकर घर में दाखिल हुई, तो वहां दंपति के सड़े-गले शवों पर कीड़े रेंग रहे थे और दोनों के बीच में उनका पांच दिन का नवजात जीवित मिला था।
परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और परिजनों से पूछताछ के आधार पर पहले यह मामला खुदखुशी का लग रहा था। काशिफ की पहली बेगम ने भी पुलिस को जानकारी दी थी, कि काशिफ ने 10 जून की रात उससे कहा था, कि वह घर आ रहा है, उसे किसी के पांच लाख रुपये देने है। पोस्टमार्टम में भी मौत के कारण स्पष्ट नहीं होने की वजह से शवों के बिसरा जांच के लिए प्रयोगशाला में भिजवाया गया था।
डबल मर्डर केस में मृतका अनम का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। यह वीडियो अनम का मरने से पहले का बताया गया, जिसमें महिला अपने भाई शाहबाज पर उसे और उसके शौहर को मारने का प्लान बनाने का आरोप लगा रही थी। वीडियो में अनम कह रही है, कि उसके शौहर को झूठे मुकदमे में फंसाने की तैयारी की जा रही थी। उसके भाई ने उसे बेहद परेशान किया और नींद की गोलियां तक खिलाई।
मृतक काशिफ के अब्बा ने भी पुलिस को दी तहरीर में अनम के भाई शहबाज पर हत्या का संदेह जताया था। पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की। जांच के दौरान ज्ञात हुआ, कि शहबाज 10 जून की रात घर आया था। इसके बाद 11 और 12 जून की रात में एक गाड़ी भी घर के बाहर आकर रुकी थी। जांच में यह गाड़ी अवशद निवासी सहारनपुर की पाई गई।
अवशद ने पुलिस को बताया, कि शहबाज उसकी गाड़ी लेकर गया था। उसने बताया, कि वह मोहंड में एक पार्टी में शामिल होने गया था। इस पर पुलिस को संदेह हुआ, तो शहबाज से सख्ती से पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान अपने खिलाफ सारे सुबूत देखकर शहबाज थोड़ी देर में ही टूट गया और उसने सारा घटनाक्रम पुलिस के सामने उगल दिया।
शाहबाज ने पूछताछ के दौरान बताया, कि आठ साल पहले उसके अब्बा की मौत हाइड्रा के नीचे दबकर हो गई थी। इसे काशिफ का भाई चला रहा था और उन्होंने जानबूझकर उसके अब्बा को मारा था। उस वक्त वह छोटा था, इसलिए अपना बदला नहीं ले सका था। पिछले साल वह दुष्कर्म के मामले में जेल चला गया था और इसी बीच काशिफ ने उसकी बहन को भगाकर शादी कर ली। जब वह जेल से बाहर आया, तो सभी उसका मजाक उड़ाने लगे।
शहबाज इस सबका जिम्मेदार काशिफ को समझने लगा। उसने बदला लेने की नीयत से काशिफ से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी। वह काशिफ का साझीदार बनकर काम करने लगा। बीती 10 जून को काशिफ ने ही उसे उत्तरकाशी चलने के लिए बुलाया था। घर में काशिफ ने मैगी बनाई और तीनों खाने के बाद सो गए, लेकिन शहबाज उस रात सोया नहीं। उसने रात में किचन से चाकू उठाया और काशिफ का सोते हुए गला रेत दिया।
इस दौरान जब उसकी बहन अनम की आंख खुल गई, तो उसने शोर मचाने का प्रयास किया, लेकिन शहबाज ने गला दबाकर उसे भी मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद वह मौके से फरार हो गया। पूछताछ में शहबाज ने बताया, कि जब उसने काशिफ के गले में छुरी चलाई, तो खून का फव्वारा छूट पड़ा। कुछ धब्बे दीवार पर भी लगे। जिन्हें जाते वक्त उसने कपड़े से साफ कर दिया था। इसके बाद चाकू को भी उसने आशारोड़ी जंगल में फेंक दिया। फिलहाल पुलिस को हत्या में इस्तेमाल चाकू नहीं मिला है।
पुलिस के अनुसार, कत्ल को अंजाम देने के बाद शहबाज अकेले होने के कारण उस दिन शवों को ठिकाने नहीं लगा सका था। उसे लगा, कि नवजात के रोने की आवाज कोई सुनेगा तो मामला खुल जाएगा, लेकिन जब वहां से काई खबर नहीं आई, तो वह 11 और 12 जून की रात अपने दोस्त के साथ गाड़ी लेकर आया और उसने यहां से शवों को ले जाने की कोशिश की, लेकिन इसमें वह कामयाब नहीं हो सका।