राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) के दिग्गज नेता शरद पवार के भतीजे अजित पवार को महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है। गौरतलब है, कि अजित पवार ने हाल ही में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने की बात कही थी और अब रविवार (2 जुलाई, 2023) को उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी-सीएम की शपथ लेकर सबको चौंका दिया है। इसके साथ ही महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार दो उप-मुख्यमंत्री हो गए है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अजित पवार के साथ शरद पवार के बेहद करीबी छगन भुजबल, धनंजय मुंडे और दिलीप पाटिल समेत 9 मंत्रियों ने भी शपथ ली। उल्लेखनीय है, कि प्रफुल्ल पटेल जिन्हें शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था, वो भी उनका साथ छोड़कर इस शपथग्रहण समारोह में उपस्थित रहे। वहीं इससे पहले राजभवन पहुँच कर अजित पवार ने राज्यपाल को विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा।
#MaharashtraPolitics | NCP leader Ajit Pawar takes oath as Maharashtra Minister in the presence of CM Eknath Shinde and Deputy CM Devendra Fadnavis pic.twitter.com/F58i9WvtJ0
— ANI (@ANI) July 2, 2023
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद अजित पवार ने स्पष्ट कहा, कि पार्टी का नाम और सिंबल भी मेरे पास ही रहेगा। मैंने बाकी विधायकों से भी संपर्क किया है और कई सारे विधायक आज शाम तक यहां पहुंचेगे। अजित पवार ने साफ- साफ कहा, कि इसके आगे हम कोई भी चुनाव चाहे वो जिला परिषद के हों या अन्य पंचायत चुनाव हो उसे हम पार्टी (NCP) के सिंबल पर ही लड़ेंगे।
अजित पवार ने प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों से कहा, कि विकास को महत्व देना बहुत जरूरी है। पिछले 9 साल से पीएम नरेंद्र मोदी जिस प्रकार विकास के लिए बेहद सराहनीय काम कर रहे है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री का देश के प्रति समर्पण देखकर मुझे लगा ,कि मुझे भी विकास की यात्रा में भागीदार होना चाहिए, इसलिए मैं एनडीए में शामिल होना चाहता था।
बता दें, 27 नवंबर 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फड़नवीस के साथ डिप्टी सीएम की शपथ ले ली थी। ऐसा माना जाता है, शपथ ग्रहण समारोह शरद पवार की अनुमति के बाद ही हुआ था, लेकिन दो दिन में ही शरद पवार ने इरादा बदल दिया। शरद पवार के चक्कर में देवेंद्र फडणवीस के साथ अजित पवार की भी काफी किरकिरी हुई थी। देंवेंद्र फडणवीस ने दावा किया था, कि 2019 में एनसीपी और बीजेपी में जो खिचड़ी पक रही थी, उसकी हांडी शरद पवार ने अचानक बदल ली और कांग्रेस और शिवसेना के खेमे से जुड़ गए।
उल्लेखनीय है, कि कुछ दिनों पहले शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया था, इसके बाद से ही अजित पवार के पार्टी में असहज होने की खबरें सामने आ रही थी। शरद पवार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन फिर कार्यकर्ताओं के दबाव की बात कहते हुए इस्तीफा वापस ले लिया और नए नेतृत्व को तैयार करने की बात कही थी।
सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर शरद पवार ने एनसीपी का भविष्य तय कर दिया था और भतीजे अजित पवार को भी उनकी राजनीतिक हैसियत समझाने का प्रयास किया था, लेकिन जुलाई की 2 तारीख आते-आते शरद पवार का यह मास्टर स्ट्रोक बैक फायर कर गया। वर्तमान परिस्थिति में शरद पवार के राजनीतिक कौशल का तो पता नहीं, लेकिन अब उनके स्वयं के राजनीतिक भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है।
बता दें, इस राजनीतिक घटनाक्रम से महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी करीब-करीब साफ हो गई है। 53 विधायकों वाली पार्टी के अधिकतर विधायक और बड़े नेता अजित पवार के खेमे में जा चुके है। इस सबके बीच 82 वर्षीय शरद पवार अब उस अवस्था में भी नहीं रहे, कि एक बार सक्रियता दिखा कर अपने खेमे को फिर से गोलबंद करें और अपनी बेटी के नेतृत्व में काम करने के लिए प्रेरित करें। कुल मिला कर सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही पार्टी के पतन की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी।