भगवान शिव के पूजन के लिए विशेष महत्व रखने वाला श्रावण मास मंगलवार (4 जुलाई 2023) से आरंभ हो गया है। इस बार सावन का महीना 31 अगस्त तक रहेगा। मलमास के कारण इस बार श्रावण मास 58 दिनों का होगा। उल्लेखनीय है, कि यह संयोग करीब 19 वर्ष बाद बन रहा है। हालांकि, संक्रांति से सावन मानने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में श्रावण मास 17 जुलाई से शुरू होगा।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सावन या श्रावण मास में जो भक्त भगवान शिव की भक्ति पवित्र मन से करते है, उसकी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। इसके साथ ही कन्याओं को सुयोग्य वर प्राप्ति का भी आशीर्वाद मिलने की मान्यता है। ज्योतिषाचार्य विशालमणि थपलियाल जी के अनुसार, मैदानी क्षेत्रों में पूर्णिमा से पूर्णिमा तक सावन मनाया जाता है।
ऐसे में मैदानी क्षेत्रों में पहला सोमवार 10 अगस्त, दूसरा 17 (मलमास शुरू मध्य रात्रि), तीसरा 24, चौथा 31, पांचवां सात अगस्त, छठा 14 अगस्त, सातवां 21, जबकि आठवां सोमवार 28 अगस्त को होगा। वहीं, पर्वतीय क्षेत्र के लोग सूर्यमान यानी संक्रांति से संक्राति तक सावन मनाते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में संक्रांति 17 जुलाई सोमवार से शुरू हो जाएगी।
बता दें, श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर जल जरूर चढ़ाना चाहिए। इस महीने पुष्प, फल और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान भोलेनाथ अति प्रसन्न होते है। जल चढ़ाने से पहले पंचामृत अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। इस माह में दूध का दान करने से भी भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते है। इस माह में गाय और बैल की सेवा करना भी उत्तम माना गया है।
श्रावण मास में व्रत-उपवास करने से भी भोलेनाथ को प्रसन्न होते है। भगवान भोलेनाथ के साथ भक्तों को माता पार्वती की भी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस माह में धन, धतूरा, दूध, आक, गंगा जल, और बेल पत्र आदि भगावन शिव को अर्पित करना चाहिए। सावन में रोज 21 बेलपत्र पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
भगवान शिव को समर्पित इस महीने को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इस माह में कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते है। श्रावण मास भक्ति, हरियाली और प्रेम का प्रतीक होता है। सावन के महीने में दिन के समय नहीं सोना चाहिए। माना जाता है, कि इससे भोलेनाथ की कृपा नहीं मिलती है। सावन के महीने में भूलकर भी मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने तामसिक भोजन के सेवन से भक्तों को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है।