देवभूमि उत्तराखंड में भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर धामी सरकार का रुख अत्यंत गंभीर है। शुक्रवार (7 जुलाई 2023) को आयोजित कैबिनेट बैठक में सरकारी भूमि अतिक्रमण के खिलाफ अध्यादेश लाया गया। इसके अंतर्गत सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने पर न्यूनतम सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है, जबकि अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान भी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड, भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में कानूनों को सख्त कर दिया है। उल्लेखनीय है, कि राज्य में नया कानून लागू होने से भू-माफिया पर शिकंजा कसेगा और सामान्य नागरिक को राहत मिलेगी। बता दें, अभी तक सरकार के स्तर पर अतिक्रमण रोकने के लिए जितने भी प्रयास किए गए, वह असफल साबित हो रहे है, लेकिन अब सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, धामी सरकार अब इसको लेकर अध्यादेश ला सकती है। इसके बाद अध्यादेश को कानून में तब्दील करने के लिए विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। बता दें, उत्तराखंड, भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में पहली बार निजी भूमि को भी शामिल किया गया है।
Uttarakhand | State cabinet meeting was held under the chairmanship of Chief Minister Pushkar Singh Dhami at the Secretariat today. 33 subjects have been approved in the meeting. In which encroachment on state land is a cognizable and non-bailable offense ordinance, the cabinet… pic.twitter.com/MXwQpvZcQt
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 7, 2023
बताया जा रहा है, कि नए कानून के तहत पीड़ित शख्स सीधे जिलाधिकारी से इस प्रकार के मामलों की शिकायत कर सकेगा। डीएम की अध्यक्षता में राज्य सरकार की ओर से अधिसूचित समिति प्रकरण की विवेचना पुलिस के निरीक्षक रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी से कराएगी। नए कानून में पीड़ित शख्स को राहत देते हुए भूमि अतिक्रमणकर्ता या आरोपी पर ही मालिकाना हक साबित करने का भार डाला गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अतिक्रमण का आरोप सत्य पाए जाने पर न्यूनतम सात वर्ष या अधिकतम 10 वर्ष तक कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही अतिक्रमणकर्ता को ऐसी संपत्तियों के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा। नए कानून में पुराने कब्जों को भी शामिल करते हुए कार्रवाई की जा सकेगी।
उत्तराखंड, भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश के तहत प्रदेश में भूमि अतिक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालयों का गठन करेगी। इनमें डीएम या डीएम की ओर से अधिकृत किसी अधिकारी की संस्तुति पर भूमि अतिक्रमण या हथियाने के प्रत्येक मामले का संज्ञान लेकर सुनवाई की जाएगी। इसके बाद न्यायाधीश की ओर से आदेश पारित किया जाएगा। हालांकि, विशेष न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी।
बता दें, अगर कोई शख्स व्यक्तियों का समूह अथवा कोई संस्था किसी भी जमीन या संपत्ति पर धमकी, छल, बिना किसी कानूनी अधिकारी के बल पर अवैध कब्जा करते है या कब्जा करने कि कोशिश करते है तो इसे भी अतिक्रमण की श्रेणी में रखा जाएगा। इसके साथ ही ऐसी जमीन को अवैध रूप से किराये अथवा पट्टे पर देने या कब्जे के लिए अनधिकृत संरचनाओं का निर्माण करने पर नए कानून के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी।