22 मई को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में रेस्क्यू की गई बाघिन ने जन्म देने के पांचवें दिन अपने तीनों शावकों को खा लिया। वन विभाग इस घटना को तनाव से जोड़ कर देख रहा है। इस प्रकरण पर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। बता दें, इस बाघिन को पिछले दिनों शिकारियों से बचाकर रेस्क्यू सेंटर में लाया गया था। बाघिन के पिछले हिस्से में क्लच वायर बंधा हुआ था, जिसके बाद पार्क प्रशासन ने बाघिन को रेस्क्यू सेंटर में उपचार के लिए रखा हुआ था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ढेला रेस्क्यू सेंटर में करीब हफ्ते भर पहले रेस्क्यू की गई बाघिन ने तीन शावक को जन्म दिया था। बताया जा रहा है, कि कमजोर होने के चलते दो शावकों की मौत हो गई थी, जिन्हें बाघिन ने खा लिया था। 19 जुलाई को विशेषज्ञ पैनल ने बाघिन और एक शावक को स्वस्थ घोषित किया था। कॉर्बेट निदेशक डॉ. धीरज पांडे ने अमर उजाला को बताया, कि दो दिन पहले ही बाघिन अपने तीसरे शावक को दूध भी पिला रही थी।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में रेस्क्यू की गई बाघिन जन्म देने के बाद बाद पांचवें दिन अपने तीनों शावकों को खा गई। https://t.co/cWP9Ebpx7j#CorbettTigerReserve #Tigress #cubs #Death
— Amar Ujala Dehradun (@AU_DehradunNews) July 25, 2023
रिपोर्ट्स के अनुसार, शावक और बाघिन की सीसीटीवी से वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी और उनकी टीम लगातार निगरानी रख रही थी। 22 जुलाई को जब शावक सीसीटीवी में नजर नहीं आया, तो उसे बाड़े में खोजा गया, लेकिन शावक या उसका शव नहीं मिला। इससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है, कि बाघिन ने पहले दो शावकों की तरह ही इस तीसरे शावक को भी खा लिया है।
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा ने बताया, कि प्रशासन द्वारा बाघिन के व्यवहार की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। उन्होंने बताया, कि बाघिन द्वारा अपने ही शावकों को निवाला बनाने की यह पहली घटना नहीं है, ऐसे मामले देश और विदेश में पहले भी दर्ज किये गए है। पिछले साल महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के खुर्सापार क्षेत्र में एक बाघिन को अपने एक माह के शावक को खाते देखा गया था। वहीं येरुशलम के एक चिड़ियाघर में भी बाघिन ने अपने पांच सप्ताह के दो शावकों को खा लिया था।