मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार (2 सितंबर 2023) को मसूरी में उत्तराखंड आंदोलन की 29वीं वर्षगांठ पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर सीएम धामी ने शहीद राज्य आंदोलनकारियों के परिजनों को शॉल पहनाकर सम्मानित किया। श्रद्धांजलि सभा में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला उपस्थित रहे।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “मसूरी गोलीकांड की 29वीं बरसी पर पृथक उत्तराखण्ड राज्य निर्माण हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर शहीदों को कोटिशः नमन। आपके द्वारा दिया गया बलिदान हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। हमारी सरकार राज्य आंदोलनकारियों के स्वप्न के अनुरुप उत्तराखण्ड के विकास हेतु वचनबद्ध है। विनम्र श्रद्धांजलि !”
मसूरी गोलीकांड की 29वीं बरसी पर पृथक उत्तराखण्ड राज्य निर्माण हेतु अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अमर शहीदों को कोटिशः नमन।
आपके द्वारा दिया गया बलिदान हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। हमारी सरकार राज्य आंदोलनकारियों के स्वप्न के अनुरुप उत्तराखण्ड के विकास हेतु वचनबद्ध है।… pic.twitter.com/Km9pIACImg
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) September 2, 2023
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बलिदानियों को नमन करते हुए कहा, कि शहीदों के सपनों का उत्तराखंड बनाने की दिशा में ही काम करना हमारा दायित्व है। सीएम धामी ने कहा, “राज्य के लिए शहीद हुए प्रत्येक आंदोलनकारी के प्रति प्रत्येक उत्तराखण्डवासी के मन में सदैव कृतज्ञता का भाव होना चाहिए।”
सीएम धामी ने कहा,”हम सभी को यह राज्य बहुत ही संघर्षों के बाद मिला है यह बात ना हम भूलेंगे और ना ही आने वाली पीढ़ियों को भूलने देंगे। हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी पता होना चाहिए कि हमारे राज्य आंदोलनकारियों ने कितना संघर्ष किया है।” उन्होंने कहा, “हमारी मातृशक्ति ने आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खटीमा कांड, मसूरी कांड, रामपुर तिराहा कांड सहित अन्य प्रमुख आंदोलन में हमारी माताओं- बहनों का अहम योगदान रहा है।”
"हमारी मातृशक्ति ने आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खटीमा कांड, मसूरी कांड, रामपुर तिराहा कांड सहित अन्य प्रमुख आंदोलन में हमारी माताओं- बहनों का अहम योगदान रहा है।" : मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami जी। pic.twitter.com/zalFTgra23
— Office Of Pushkar Singh Dhami (@OfficeofDhami) September 2, 2023
उल्लेखनीय है, कि दो सितंबर का वो खौफनाक दिन आज भी मसूरीवासियों की धड़कनें तेज कर देता है। वर्ष 1994 में इसी दिन पीएसी और पुलिस ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन की मांग कर रहे आंदोलनकारियों के ऊपर अंधाधुन गोलियां बरसा दी थी। इस गोलीकांड में मसूरी के छह आंदोलनकारी बलिदान हुए और दर्जनों घायल हुए थे। वहीं, एक पुलिस उपाधीक्षक की भी मौत हो गई थी।
29 साल पहले दो सितंबर 1994 को हुई इस दर्दनाक घटना को याद करके एक बार फिर आंदोलनकारियों और बलिदानियों के परिजनों का दर्द छलक उठा। शहीद आंदोलनकारी दिवंगत मदन मोहन ममगाईं की पत्नी शांति ममगाईं ने बताया, 2 सितंबर 1994 को उनके बड़े बेटे मंजुल ममगाईं का जन्मदिन था, लेकिन उनके पति ने उनसे कहा, कि झूलाघर के पास चल रहे राज्य निर्माण आंदोलन में शामिल होने जा रहे है।
शहीद मदन मोहन ममगाईं ने अपनी पत्नी को घर से विदा होते कहा था, कि आंदोलन स्थल से लौटकर बेटे का जन्मदिन मनाएंगे, लेकिन उसके बाद घरवालों को जानकारी मिली, कि आंदोलन स्थल पर पुलिस ने गोली चला दी है, इसमें मदन मोहन ममगाईं भी शहीद हो गए। शांति ममगाईं ने कहा, कि उनके पति और अन्य आंदोलनकारियों ने राज्य की मांग को लेकर बलिदान दिए, लेकिन आज बाहर के लोग राज्य में जमीनें खरीद रहे है। जिसके कारण भविष्य में उत्तराखंड के लोगों की पहचान खतरे में पड़ जाएगी।