पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय भूभाग गिलगित-बल्तिस्तान प्रांत में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर शिया हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे है। ईशनिंदा के आरोप में शिया मौलवियों की गिरफ्तारी के बाद ये प्रदर्शन शुरू हुआ था। जिसके बाद आंदोलनकारियों को कुचलने के लिए इलाके में मोबाइल-इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया है। इलाके में पाकिस्तानी आर्मी की भी तैनाती कर दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर एडवाइजरी जारी करते हुए, हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच अपने नागरिकों को सावधानी बरतने के लिए कहा है। पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने ट्रेवल एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों से बड़ी सभाओं से बचने और स्थानीय मीडिया रिपोर्टों पर नजर रखने का आग्रह किया है।
बता दें, कि पाकिस्तान अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान की जनसंख्या करीब बीस लाख के आसपास है। इसमें से लगभग आठ लाख आबादी शिया समुदाय की है। शिया समुदाय के हिंसक विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पाकिस्तानी आर्मी के 20 हजार अतिरिक्त जवानों को क्षेत्र में तैनात किया गया है। हालात इस हद तक बिगड़ गए है, कि सेना भी यहां शिया बहुल इलाको में घुसने से कतरा रही है। वहीं धारा 144 लगाने के बाद भी स्कर्दू, हुंजा, दियामीर और चिलास में शिया संगठनों का प्रदर्शन जारी है।
बताया जा रहा है, कि शिया मौलवी ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, हालांकि मौलवी द्वारा इससे इनकार करने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद प्रदर्शनकारी शियाओं ने कराकोरम हाईवे को जाम कर दिया था। मौलवी की रिहाई की माँग कर रहे आंदोलनकारी गृहयुद्ध और भारत में विलय की धमकी दे रहे है। यह इस क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा विरोध-प्रदर्शन माना जा रहा है, जिसमें ‘चलो, चलो कारगिल चलो’ के नारे गूँज रहे है।
गौरतलब है, कि ब्रिटिश सत्ता से देश को स्वतंत्रता मिलने से पहले गिलगिट-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 1947 के बाद से इस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने जबरन कब्जा कर रखा है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के इस क्षेत्र में एक लंबे वक्त से बड़े पैमाने पर शिया समुदाय का उत्पीड़न हो रहा है। इससे शिया समुदाय के लोग बेहद परेशान चल रहे है।