भारत में आयोजित हो रहे G-20 शिखर सम्मेलन के बीच वर्ल्ड बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट जारी कर बताया है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने पिछले 6 वर्षो में वो कर दिखाया, जिसके लिए कम से कम पांच दशक लग जाते है। विश्व बैंक ने मोदी सरकार द्वारा डिजिटल पेमेंट की दिशा में उठाए गए कदमों की जमकर तारीफ की है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में मोदी सरकार द्वारा आरंभ की गई डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रचर के बारे में जानकारी देते हुए बताया, कि JAM (जन धन, आधार, मोबाइल), सभी के लिए बैंक खाते, आधार और मोबाइल कनेक्टिविटी से कई लोगों को लाभ हुआ है। वर्ल्ड बैंक ने भारत की प्रशंसा करते हुए अपने जी-20 दस्तावेज में कहा, कि डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए भारत ने वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को 6 साल में हासिल कर लिया है, जिसे करने में 47 साल लग जाते।
वर्ल्ड बैंक की इस खबर को प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने सोशल मीडिया एक्स के अकाउंट पर शेयर किया है, जिसमें विश्व बैंक द्वारा भारत सरकार की प्रशंसा की गई है। PM मोदी के एक्स अकाउंट पर किये गए पोस्ट के अनुसार, “डिजिटल पब्लिक इंन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा संचालित वित्तीय समावेशन यानी फिनांशियल इनक्लूशन में भारत की छलांग ! विश्व बैंक द्वारा तैयार किए गए एक G-20 दस्तावेज में भारत के विकास पर एक बहुत ही दिलचस्प बिंदु साझा किया गया है। भारत ने केवल 6 वर्षों में वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को हासिल कर लिया है, अन्यथा इसमें कम से कम 47 वर्ष लग जाते। हमारे मजबूत डिजिटल भुगतान बुनियादी ढाँचे और हमारे लोगों की भावना को बधाई। यह समान रूप से तीव्र प्रगति और नवप्रवर्तन का प्रमाण है।”
India's leap in financial inclusion, powered by Digital Public Infrastructure!
A G20 document prepared by the @WorldBank shared a very interest point on India's growth. India has achieved financial inclusion targets in just 6 years which would otherwise have taken at least 47…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 8, 2023
वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया, कि भारत ने जन धन बैंक खाते, आधार और मोबाइल फोन (JAM ट्रिनिटी) के उपयोग से वित्तीय समावेशन की दर 80 फीसदी तक प्राप्त करने में मात्र 6 साल का समय लिया है, जिसके लिए इस तरह के डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) के बिना 47 साल लग सकते थे। वर्ल्ड बैंक ने G-20 के लिए पॉलिसी डॉक्युमेंट तैयार किया है, जिसमें उसने भारत में जारी आर्थिक गतिविधियों की जमकर तारीफ की है, विशेषकर डिजिटल इंडिया की दिशा में।
उल्लेखनीय है, कि UPI डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म के क्षेत्र में भारत ने वैश्विक स्तर पर खासी लोकप्रियता हासिल की है। मई 2023 में ही लगभग 14.89 खरब रुपए मूल्य के 9.41 अरब से अधिक के लेनदेन किए गए। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50 फीसदी के बराबर मूल्य का यूपीआई ट्रांजैक्शन हुआ है। डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्राक्चर ने नए ग्राहक पर बैंकों का खर्च लगभग समाप्त कर दिया है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख किया गया है, कि डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) के इस्तेमाल से भारत में बैंकों के ग्राहकों को शामिल करने की लागत 23 डॉलर (करीब 1,900 रुपए) से घटकर 0.1 डॉलर (करीब 8 रुपए) हो गई है। वहीं ई-केवाईसी का उपयोग करने वाले बैंकों ने अपनी अनुपालन लागत 0.12 डॉलर से घटाकर 0.06 डॉलर कर दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने डीपीआई का फायदा उठाते हुए विश्व के सबसे बड़े डिजिटल गवर्नमेंट-टू-पीपल आर्किटेक्चर में से एक का निर्माण किया। इससे 312 प्रमुख योजनाओं के माध्यम से 53 केंद्रीय मंत्रालयों के लाभार्थियों को प्रत्यक्ष तौर पर करीब 361 अरब डॉलर की रकम भेजी गई है। मार्च 2022 तक भारत ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) के चलते कुल 33 अरब डॉलर की बचत हुई, जो जीडीपी के लगभग 1.14 प्रतिशत के बराबर है।
गौरतलब है, कि यूपीआई से देश से बाहर भी पेमेंट करने की सुविधा शुरू हो गई है। भारत और सिंगापुर के बीच UPI-PayNow इंटरलिंकिंग शुरू हो चुकी है। यह G-20 की वित्तीय समावेशन प्राथमिकताओं के साथ जुडी है और तेज़, सस्ता और अधिक पारदर्शी सीमा पार भुगतान की सुविधा प्रदान करती है। रिपोर्ट में बताया गया है, कि डीपीआई ने बिजनेस चलाने की जटिलता, लागत और वक्त में कटौती के जरिए प्राइवेट कंपनियों के लिए बड़े अवसर खोल दिए है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) खातों की संख्या में बड़ा उछाल आया। जहाँ मार्च 2015 में 14.72 करोड़ थी वहीं जून 2022 तक तीन गुना होकर 46.2 करोड़ हो गई है। इनमें से 56 फीसदी यानी 26 करोड़ से अधिक खातों का स्वामित्व महिलाओं का है।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर ने केवाईसी (Know Your Customer) प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इससे बैंकों की लागत कम हो गई है। बैंकों ने अपनी अनुपालन लागत 0.12 डॉलर से घटाकर 0.06 डॉलर कर ली है। उल्लेखनीय है, कि वित्तीय समावेशन के लिए जी-20 ग्लोबल पार्टनरशिप (GPFI) दस्तावेज विश्व बैंक ने वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्रतिनिधित्व वाले G-20 इंडिया प्रेसीडेंसी के मार्गदर्शन और इनपुट के साथ तैयार किया है।