हरिद्वार जनपद स्थित पिरान कलियर में इनदिनों चल रहे उर्स मेले के दौरान पुलिस ने एक संदिग्ध बांग्लादेशी को गिरफ्तार किया है, जो भारत की भूमि में वर्ष 1998 से अवैध तरीके से रह रहा था। उल्लेखनीय है, कि कलियर में चल रहे उर्स मेले में देश-विदेश से बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचते हैं। ऐसे में पुलिस और खुफिया विभाग पूरी सतर्कता से संदिग्धों पर नजर रख रही है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार जिले के कलियर में चल रहे उर्स मेले से खुफिया विभाग और पुलिस टीम ने एक संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान पहले तो उसने खुद को गुजरात का निवासी बताया, लेकिन पुलिस को आरोपित के पास से किसी भी तरह के भारतीय दस्तावेज बरामद नहीं हुए।
इसके बाद में पुलिस ने सख्ती दिखाई तो, घुसपैठिये ने अपना नाम शेख अब्दुल रफीक (48) निवासी ग्राम मोनी, जिला बागेरहाट, बांग्लादेश बताया। पूछताछ में शेख अब्दुल रफीक ने उगला, कि वह वह गुजरात के भरूच से दो दिन पहले ही कलियर आया था। साथ ही उसने बताया, कि वह बिना वीजा और पासपोर्ट के वर्ष 1998 में बांग्लादेश के बेनापुर बॉर्डर से घुसपैठ कर भारत की सीमा में दाखिल हुआ था। करीब ढाई साल तक वह कोलकाता में रुका और इसके बाद वह गुजरात आ गया था और वहीं मजदूरी करने लगा।
संदिग्ध बांग्लादेशी ने बताया, कि दो दिन पूर्व ही आरोपित गुजरात से ट्रेन के जरिए कलियर आया था। एसपी देहात एसके सिंह ने बताया, कि बांग्लादेशी नागरिक पर विदेशी पासपोर्ट अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, साथ ही उससे गहनता से पूछताछ की जा रही है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, कलियर पुलिस और खुफिया विभाग की टीम को कलियर में चल रहे उर्स मेले में संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक के पहुंचने की सूचना मिली थी। बांग्लादेशी नागरिक अब्दाल साहब दरगाह के पास बन रहे सरकारी अस्पताल के पास ठहरा हुआ था। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।
गौरतलब है, कि आरोपित बांग्लादेशी नागरिक दिव्यांग है, उसका एक पैर नकली है। दिव्यांग होने और भीख मांगने के चलते उस पर किसी का शक नहीं जाता था। इसका फायदा उठाकर वह लंबे समय से भारत में छिप कर रह रहा था।