भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूरज के पास जा रहे आदित्य-एल1 को लेकर बड़ी जानकारी शेयर की है। इसरो ने बताया है, कि अंतरिक्ष यान ठीक से कार्य कर रहा है। वह निरंतर सूर्य की ओर बढ़ रहा है। इसरो ने एक बयान जारी कर कहा है, कि 19 सितंबर को किए गए ट्रांस लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (टीएल1I) को ट्रैक करने के बाद मूल्यांकन किए गए पथ को सही करने के लिए इसकी आवश्यकता थी।
इसरो ने जानकारी दी, कि टीसीएम यह सुनिश्चित करता है, कि अंतरिक्ष यान एल1 के आसपास हेलो कक्षा सम्मिलन की ओर अपने पथ पर है। जैसे-जैसे आदित्य-एल1 आगे बढ़ता रहेगा, मैग्नेटोमीटर कुछ दिनों के भीतर फिर से चालू हो जाएगा। गौरतलब है, कि सूर्य के अध्ययन पर निकला भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन आदित्य एल-1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर एल-1 बिंदु की परिक्रमा करेगा। यान ने अबतक पृथ्वी से 10 लाख किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर ली है।
2 सितंबर को सफल लांच के बाद आदित्य एल-1 इस वक्त पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर एल-1 बिंदु की ओर तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने दो सितंबर को भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग की थी। इसरो ने पीएसएलवी सी-57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से हुई थी।
Aditya-L1 Mission:
The Spacecraft is healthy and on its way to Sun-Earth L1.A Trajectory Correction Maneuvre (TCM), originally provisioned, was performed on October 6, 2023, for about 16 s. It was needed to correct the trajectory evaluated after tracking the Trans-Lagrangean…
— ISRO (@isro) October 8, 2023
जानकारी के अनुसार, आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सौर कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परतों) के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा की यथास्थिति अवलोकन के लिए बनाया गया है। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। इसरो के अनुसार, इस सूर्य अभियान से तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी।
हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है। आदित्य एल1 वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं होता। आदित्य एल-1 का यह क्रूज फेज जनवरी 2024 के पहले हफ़्ते तक यान के एल-1 कक्षा में पहुंचने पर पूरा होगा। इस बीच आदित्य-एल 1 में लगे आस्पेक्स पेलोड की एक यूनिट स्टेप्स को सफलतापूर्वक चालू कर लिया गया है। जिसने पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर और उसके बाहर अंतरिक्ष में स्थित ऊर्जावान कर्णों के बारे में जानकारियां जुटाई है।