भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया को स्पष्ट संदेश देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव के मतदान में हिस्सा नहीं लिया है, जिसमें इजरायल और हमास के बीच चल रहे हिंसक संघर्ष को रोकने की अपील की गई थी। दरअसल, इस प्रस्ताव में इजरायरल पर हमला करने वाले इस्लामी आतंकी संगठन हमास का उल्लेख तक नहीं था, इस वजह से भारत ने स्वयं को वोटिंग से दूर रखा। शुक्रवार (27 अक्टूबर, 2023) को यूएनजीए में जॉर्डन के पेश प्रस्ताव में गाजा पट्टी में बेरोकटोक मानवीय मदद पहुँचाने को लेकर भी अपील की गई।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल और हमास के हिंसक संघर्ष के बीच विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव की जानकारी देते हुए बताया, कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल और फलस्तीन के मुद्दे पर भारत के वोट की व्याख्या इसे व्यापक और समग्र रूप से दोहराती है। उन्होंने कहा, कि आतंक के मुद्दे पर कोई गोलमोल बात नहीं हो सकती। प्रस्ताव में भारत ने हमास के आतंकवाद की साफ शब्दों में निंदा की बात कही।
सात अक्तूबर को शुरू हुए हिंसक संघर्ष के बाद गाजा में फलस्तीनी नागरिकों की सहायता के मुद्दे पर सूत्र ने कहा, भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने का स्वागत करता है। भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया है। दरअसल, इजराइल के साथ हमास के संघर्ष के बीच फलस्तीन का मुद्दा भी बेहद अहम है। फलस्तीन को अलग देश के रूप में मान्यता देने की मांग लंबे समय से हो रही है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्य देश 10वें इमरजेंसी स्पेशल सेशन के लिए बुलाए गए थे। इस सेशन में जॉर्डन के पेश किए इस मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग की गई। ये प्रस्ताव बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों ने सह-प्रायोजित किया था।
इजरायल और हमास के संघर्ष विराम को लेकर पेश किए गए इस प्रस्ताव का शीर्षक ‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखना’ था। इसके पक्ष में 120 देशों ने वोट किया। वहीं 14 ने इसके खिलाफ वोट दिया तो 45 देशों ने वोटिंग में भाग ही नहीं लिया।
गौरतलब है कि इस प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत सहित इटली, यूके, कनाडा, यूक्रेन, जर्मनी और जापान दूर रहे। वहीं अमेरिका ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। हालाँकि भारत के पड़ोसी देश नेपाल और पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया।
बता दें, कि भारत ने जॉर्डन के पेश किए इस प्रस्ताव पर दूरी ही नहीं बनाई बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर हमास को आड़े हाथों लिया। यूएन में भारत की उप दूत योजना पटेल ने इजरायल पर हमास के आतंकी हमले पर दुख प्रकट करते हुए इजरायली बंधकों की तुंरत रिहाई की अपील की। उन्होंने कहा, कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं है।