देश की राजधानी दिल्ली जहरीले गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है। सर्दी बढ़ने के साथ ही दिल्ली वालों पर प्रदूषण का असर इतना बढ़ गया है, कि आधिकारिक तौर पर भले ही अभी तक कोहरा नहीं घिरा हो, लेकिन पूरी दिल्ली सूरज के किरणों के लिए तरस रही है। दिल्ली के लगभग हर हिस्से में हवा में प्रदूषण का स्तर ‘खतरनाक’ रूप से गंभीर स्थिति में पहुँच चुका है। प्रदूषण की वजह से स्कूल बंद किए जा चुके है, और कमर्शियल गाड़ियों की एंट्री पर भी बैन लगा दिया गया है। साथ ही अन्य कदम भी उठाये गए है।
दिल्ली में इन दिनों सांस लेना दुश्वार हो गया है। हवा का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 पार पहुंच चुका है, यानी अब दिल्ली-एनसीआर की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। लोगों को घरों के अंदर भी सांस लेने में परेशानी आ रही है। दिल्ली में लोग हर सांस के साथ 40-50 सिगरेट के बराबर धुआं फेफड़ों तक पूरे दिन में ले रहे हैं। दिल्ली लोगों के लिए खुला गैस चेंबर बन गया है। दिल्ली में लोगों के लिए जीना मुश्किल हो गया है। घरों में बंद लोगों को घरों में आंखों में जलन का सामना करना पड़ रहा है।
इसके चलते राजधानी में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (GRAP 3) के तीसरे चरण को लागू कर दिया गया है। दिल्ली में गैर जरूरी निर्माणों पर रोक लगा दी गई है। राजधानी दिल्ली में हल्के कमर्शियल वाहनों और डीजल ट्रकों की एंट्री पर भी रोक लगा दी गई है। इस संदर्भ में अब स्कूलों को ऑनलाइन करने के लिए कहा गया है। दिल्ली और आसपास के शहर रेड जोन के स्तर पर पहुंच चुके हैं। दिल्ली के एक्यूआई ने 800 के खतरनाक स्तर को भी पार कर लिया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शुक्रवार (03 नंबर 2023) को सुबह 8 बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 346 था। दिल्ली के लोधी रोड, जहांगीरपुरी, आरके पुरम और आईजीआई एयरपोर्ट जैसे इलाकों में हवा की हालत खराब है। इन जगहों पर एक्यूआई रीडिंग क्रमश: 438, 491, 486 और 473 है। बढ़ते प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने वायु गुणवत्ता की स्थिति की समीक्षा बैठक भी आयोजित की।
दिल्ली के अलावा पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने में असफल साबित हो रही है। जहाँ हरियाणा की सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर काफी हद तक नियंत्रण पाया है, वहीं पंजाब में लगातार पराली जल रही है। गौरतलब है, कि पंजाब में ‘आम आदमी पार्टी’ की सरकार आने से पहले सीएम केजरीवाल दिल्ली के प्रदूषण का पूरा भार हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाने पर डालते रहते थे।