भारत-कनाडा के बीच जारी राजनयिक विवाद के बीच कनाडा को लेकर भारतीय कूटनीति के रवैया में कोई भी नरमी आने के संकेत नहीं है। भारत ने एक बड़े कूटनीतिक कदम के तहत संयुक्त राष्ट्र में कनाडा को पूजा स्थलों और घृणा अपराध को रोकने का सुझाव दिया है। दरअसल कनाडा अपने भारत विरोधी रवैये के चलते पाकिस्तान जैसा बनता जा रहा है। कनाडा की धरती पर हर किस्म के खालिस्तानी ही नहीं फल-फूल रहे हैं, बल्कि कनाडा में भारत से फरार गैंगस्टर और नशे के तस्कर भी अपनी गहरी जड़े जमा चुके है।
समाचार एजेंसी ANI की एक्स पोस्ट के अनुसार, भारतीय राजनयिक मोहम्मद हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की समीक्षा बैठक के दौरान राष्ट्रीय आवास रणनीति अधिनियम और सुगम्य कनाडा अधिनियम जैसे विधायी अधिनियमों का जिक्र किया। भारतीय राजनयिक ने UNHRC की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम राष्ट्रीय आवास रणनीति अधिनियम, सुगम्य कनाडा अधिनियम और मानव तस्करी से निपटने के लिए राष्ट्रीय रणनीति के अधिनियमन पर ध्यान देते है।’
India recommends Canada to prevent attacks on places of worship, address hate speech
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— ANI Digital (@ani_digital) November 14, 2023
भारत ने कनाडा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग और विशेषकर हिंसा भड़काने को रोकने के लिए अपने घरेलू ढांचे को मजबूत करने की सलाह दी। भारत ने कनाडा से चरमपंथ को बढ़ावा देने वाले समूहों, हिंसा भड़काने और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले समूहों की गतिविधियों को अस्वीकार करने और धार्मिक और नस्लीय अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों पर हमलों को प्रभावी ढंग से रोकने की सिफारिश की।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की समीक्षा बैठक में बांग्लादेश के राजनयिक अब्दुल्ला अल फोरहाद ने भी कनाडा को नस्लवाद, अभद्र भाषा, घृणा अपराध और प्रवासियों और मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव के खिलाफ प्रयास तेज करने को कहा। इसके अलावा श्रीलंकाई राजनयिक थिलिनी जयासेकरा ने भी कनाडा से नस्लीय भेदभाव के खिलाफ उपाय करने और अपने राष्ट्रीय तंत्र को मजबूत करने की सिफारिश की।
गौरतलब है, कि संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में भारत ने कनाडा को जो लताड़ लगाईं है, वह इसलिए भी जरुरी था, क्योंकि कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार अपने भारत विरोधी रवैये बाज नहीं आ रही है, ट्रूडो सरकार अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में जिस तरह खालिस्तान आतंकवादियों को संरक्षण दे रही है, उसकी एकमात्र मिसाल अगर कहीं और नजर आती है, तो वह है पाकिस्तान में।
दरअसल कनाडा में शरण लिए हुए खालिस्तानी आतंकवादी खुलेआम भारतीय ध्वज का अपमान तो करते ही है, इसके अलावा भारत को तोड़ने की धमकियां भी देते रहते है। पिछले दिनों प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वीडियो जारी कर धमकी दी थी, कि सिखों को 19 नवंबर को एयर इंडिया के विमान में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उनकी जान को खतरा हो सकता है।
कनाडा सरकार को गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी को इसलिए भी गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि 38 साल पहले खालिस्तानी आतंकियों ने ही एयर इंडिया के एक विमान में बम विस्फोट कर उसे आसमान में ही उड़ा दिया था। इस आतंकी घटना में 300 से अधिक निर्दोष यात्री मारे गए थे। कनाडा ने इस आतंकी घटना का षड्यंत्र रचने वाले आतंकियों को दंडित करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई और इस कारण केवल एक साजिशकर्त्ता को सिर्फ कुछ सालो की सजा सुनाई, और उसे भी समय से पहले जेल से रिहा कर दिया गया था।
वहीं गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी पर कनाडा के परिवहन मंत्री ने सिर्फ यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है, कि हम हर खतरे को गंभीरता से ले रहे हैं। दरअसल यह किसी से छिपा नहीं है, कि कनाडा सरकार भारत में वांछित आतंकियों का प्रत्यर्पण करने से साफ इंकार कर रही है। कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों का दुस्साहस बढ़ता ही जा रहा है। खालिस्तानी ना केवल भारतीय राजनयिको को धमका रहे है, बल्कि हिंदू मंदिरो को भी निशाना बना रहे है।
वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बार-बार यहीं बेसुरा राग अलाप रहे है, कि भारत को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निर्ज्जर की हत्या की जांच में सहयोग करना चाहिए, लेकिन वह इसके लिए कोई ठोस सबूत उपलब्ध कराने से इंकार कर रहे है। फिलहाल यह अच्छा संकेत है, कि भारत इसकी अधिक परवाह नहीं कर रहा है, कि निर्ज्जर की हत्या के मामले में अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड आदि कनाडा की भाषा बोल रहे है। दरअसल अगर ये देश चाहते है, कि भारत व कनाडा के संबंध सुधरें, तो उन्हें भारत की बजाय जस्टिन ट्रूडो सरकार को सलाह देनी चाहिए।