कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली है। पूर्व नेवी अफसरों को मौत की सजा को लेकर भारत की ओर से अपील दायर की गई थी। सभी को पिछले महीने जासूसी के एक कथित मामले में सजा सुनाई गई थी। पिछले दिनों विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था, कि फैसला गोपनीय बना हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपील व्यक्तिगत क्षमता द्वारा दायर की गई है, लेकिन भारत सरकार ने भी इसमें सहायता की है। वहीं, विदेश मंत्रालय ने बीते गुरुवार (23 नवंबर 2023) को अपने एक बयान में जानकारी दी है, कि निर्णय गोपनीय है। प्रथम दृष्ट्या कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसे भारत की कानूनी टीम के साथ साझा किया गया। इसके बाद भारत ने कानूनी विकल्पों पर विचार करते हुए याचिका दायर की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत इस मामले को लेकर कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है और सरकार पूर्व नौसैनिकों को सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता देना जारी रखेगी। वहीं, भारत सरकार सजा पाए इन सभी भारतीयों के परिजनों के भी संपर्क में है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया, कि मामला गोपनीय है। यानी इस पूरी प्रक्रिया में निर्णय को कतर पक्ष ने बेहद गोपनीय रखा है। ना ही कतर के अधिकारियों ने और ना ही भारत ने पूर्व सैनिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया है। हालाँकि, मीडिया रिपोर्ट में ये बार-बार कहा जा रहा है, कि कतर ने कथित जासूसी के आरोप में इन पूर्व भारतीय नौसैनिकों को सजा सुनाई है।
बता दें, कतर की एक अदालत ने 26 अक्टूबर को आठ भारतीयों को मौत की सजा का फरमान सुनाया था। कोर्ट के इस फैसले को भारत सरकार ने चौंकाने वाला बताया था। इसके साथ ही मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाशने की बात कही थी। अदालत के फैसले के कुछ दिनों बाद एक अपील दायर की गई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया, कि मामला फिलहाल कतर की कानूनी प्रक्रिया में है।