सूर्य के अध्ययन के लिए भारत द्वारा भेजे गए के पहले अंतरिक्ष मिशन यान आदित्य एल1 अपने अंतिम चरण में है और जल्द ही अपने लक्ष्य तक पहुंच जाएगा। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, कि आदित्य सही रास्ते पर है और मुझे लगता है, कि यह अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। उन्होंने कहा, ‘आदित्य’ के लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल-1) में प्रवेश करने की प्रक्रिया सात जनवरी, 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सूर्य के रहस्यों का अध्ययन करने के लिए अभियान पर निकला भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 के विषय में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, कि सूर्य का अध्ययन करने से जुड़े भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के तहत प्रक्षेपित ‘आदित्य एल1’ (Aditya-L1) अंतरिक्ष यान अपने अंतिम चरण के करीब है और एल1 बिंदु में प्रवेश करने की प्रक्रिया सात जनवरी, 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है।
Dr. Somanath has said, the final maneuvers to place #AdityaL1 into a halo orbit around the L1 point are expected to be completed by 7 January, 2024! 🛰☀️ #ISRO pic.twitter.com/ZbeYvi1c2Z
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) November 25, 2023
इसरो प्रमुख ने पहले साउंडिंग रॉकेट के प्रक्षेपण के 60वें वर्ष के उपलक्ष्य में विक्रम साराबाई अंतरिक्ष केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, कि ‘आदित्य रास्ते में है। मुझे लगता है, कि यह अपने अंतिम चरण में लगभग पहुंच गया है। इसरो प्रमुख के मुताबिक, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा।
गौरतलब है, कि आदित्य एल1 को बीते 2 सितंबर 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। आदित्य एल1 लैग्रेजियन पॉइंट से सूर्य की तस्वीरें लेकर पृथ्वी पर भेजेगा। आदित्य एल1 की मदद से इसरो सूर्य के किनारों पर होने वाली हीटिंग का अध्ययन करेगा और सूरज के किनारों पर उठने वाले तूफानों की गति और उसके तापमान के पैटर्न को समझने का प्रयास किया जायेगा।