भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को गाँधी नगर में कहा, कि भारत की जनता अब ‘एक गाल पर थप्पड़ खाने के बाद दूसरे गाल को आगे बढ़ाने’ वाली मानसिकता से निकल चुकी है। उन्होंने कहा, कि भारतीयों को मुकाबला करने की जरूरत है। पहले के ‘दूसरे गाल को आगे बढ़ाने की स्मार्ट रणनीति’ से भारत की जनता अब बाहर निकल चुकी है। उन्होंने कहा, कि आजादी के बाद से ही भारत सीमापार से आतंक का दंश झेल रहा है। अब सामना करने की जरूरत है।
शनिवार (23 दिसंबर 2023) को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने गांधीनगर के लावड़ में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर विदेश मंत्री ने आतंकवाद को लेकर कई बड़े बयान दिए। उन्होंने कहा, कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए, न कि योजना बनानी चाहिए।
गाँधी नगर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में आगे कहा, कि “आतंकवाद हमारी आजादी के समय ही शुरू हो गया था, जब तथाकथित हमलावर पाकिस्तान से आए थे। पहले दिन से ही हमने आतंकवाद का सामना किया है, और यह कुछ ऐसा है ऐसा है जिसके बारे में हमें पूर्ण स्पष्टता होनी चाहिए। ”
Speaking at the Convocation ceremony of Rashtriya Raksha University @RakshaUni in Gandhinagar https://t.co/bwsKCrUY6k
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 23, 2023
उन्होंने कहा, कि सुरक्षा के क्षेत्र में ‘आत्मसंतुष्टि’ और ‘उपेक्षा’ देश को महंगी पड़ सकती है, इसे देश ने 1962 में देखा था। उन्होंने कहा, “दुख की बात है कि 1962 का सबक स्पष्ट रूप से उन लोगों ने नहीं सीखा, जो उसके बाद आए। यह केवल अब हुआ है, कि हम सीमा पर बुनियादी ढांचे के प्रति उसी गंभीरता के साथ काम कर रहे हैं, जिसका यह हकदार है।”
कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “आतंकवाद का मुकाबला इसलिए हमारी क्षमताओं और हमारी कल्पनाओं दोनों को चुनौती देता है। जैसे-जैसे हमारे हितों का विस्तार होता है, हमें दूसरों की सुरक्षा में योगदान देने का भी प्रयास करना होगा। यह तत्काल पड़ोस में हो सकता है, या यह वित्तीय, स्वास्थ्य और ऊर्जा सहायता के संदर्भ में हो सकता है, उनके लिए या यह ग्लोबल साउथ जैसे बड़े क्षेत्र के लिए हो सकता है।”