प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 29 जनवरी को ‘परीक्षा पे चर्चा – 2024 कार्यक्रम में देश भर के छात्रों, शिक्षको और अभिभावकों से सीधा संवाद स्थापित किया। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में परीक्षा के तनाव, परीक्षा की तैयारी में दबाव, करियर के चुनाव, मोबाइल के सकारात्मक इस्तेमाल, आत्मविश्वास बनाए रखने, आदि जैसे विषयों से संबंधित प्रश्नों के जवाब दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सातवीं बार ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए परीक्षा से पहले छात्रों में हौसला भरा और उनका उत्साहवर्धन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने बच्चों के माता-पिता से अनुरोध किया, कि वो बच्चों की दूसरों के साथ तुलना न करें। पीएम मोदी ने तमाम उदाहरण देकर बच्चों को मोटिवेट किया। पीएम मोदी ने कोरोनाकाल का भी उल्लेख किया और बताया, कि कैसे मुश्किल वक्त का सामना बहादुरी से करना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा, कोरानाकाल में मैंने देशवासियों से ताली थाली बजाने को कहा, हालांकि, यह कोरोना को खत्म नहीं करता, लेकिन एक सामूहिक शक्ति को जन्म देता है। पीएम मोदी ने आगे कहा, अगर यह सही रहा तो आप चीजों को संभाल सकते है। कोरोना इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। मैंने छोटी-सी खिड़की भी खुली नहीं रखी है, कि निराशा वहां से आ जाए। पीएम ने बच्चों से कहा, कि कितनी भी मुश्किल आ जाए, आपको कभी भी घबराना नहीं है। उसका सामना करना है और जीतकर निकलना है।
पीएम मोदी ने छात्रों को परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव से बचने का मंत्र देते हुए कहा, “परीक्षा से पहले आराम से बैठें, हँसी-मजाक में पांच – दस मिनट बिता दीजिए। खुद में खो जाइए, एग्जाम से बाहर निकल जाएँगे, फिर जब आपके हाथ में प्रश्न पत्र आएगा तो आप आराम से कर पाएँगे। हम बाकी चीजों में लटके रहते हैं, वो बिना कारण हमारी शक्ति बर्बाद करता है। हमें खुद में ही खोए रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, बचपन से अर्जुन और पक्षी की आँख वाली कथा सुनते है, इन्हें अपने जीवन में भी लागू भी करें। घबराहट का कारण है, कि परीक्षा के समय सोचना कि कहीं समय कम ना पड़ जाए, अच्छा होता मैं पहले वे प्रश्न कर लेता, ऐसे में पहले पूरा पेपर पढ़ लीजिए फिर देखिए कि आपको कैसे करना है।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “कुछ माता पिता को लगता है कि आज एग्जाम है कि बच्चे को नई पेन लाकर दें, लेकिन मेरा आग्रह है कि जो पेन रोज यूज करता है, वही ले जाने दीजिए। न उसे कपड़ों पर टोकिए, जो पहन रहा है उसे पहनने दीजिए। एग्जाम पर उसे कंफर्ट फील कराइए।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में कहा, कि अगर जीवन में चुनौतियाँ न हों, तो जीवन बहुत ही चेतनाहीन बन जाएगा। ऐसे में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, लेकिन यह स्वस्थ तरीके की होनी चाहिए। पीएम मोदी ने कहा, कि माता-पिता को दो बच्चों के बीच तुलना नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे नफरत पैदा होती है, जो आगे चलकर जहरीले वृक्ष में बदल सकता है।
पीएम मोदी ने कहा, कि बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को माता-पिता अपने विजिटिंग कार्ड की तरह इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे बच्चों के मन-मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री ने कहा, बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इसलिए शिक्षक और छात्रों के बीच हमेशा सकारात्मक रिश्ता रहना चाहिए। शिक्षक का काम सिर्फ जॉब करना नहीं, बल्कि जिंदगी को संवारना है, जिंदगी को सामर्थ्य देना है, यही परिवर्तन लाता है।
बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इसलिए शिक्षक और छात्रों के बीच हमेशा सकारात्मक रिश्ता रहना चाहिए।
शिक्षक का काम सिर्फ जॉब करना नहीं, बल्कि जिंदगी को संवारना है, जिंदगी को सामर्थ्य देना है, यही परिवर्तन लाता है।
– पीएम @narendramodi… pic.twitter.com/CY7ksx9bcg
— BJP (@BJP4India) January 29, 2024
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी को देखा। उन्होंने ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम की शुरुआत में ही प्रदर्शनी की तारीफ की और लोगों से प्रदर्शनी को देखने की भी अपील की।
VIDEO | Pariksha Pe Charcha 2024: PM Modi interacts with students and teachers in Delhi.#ParikashaPeCharcha pic.twitter.com/KJ1c1o0X06
— Press Trust of India (@PTI_News) January 29, 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम की शुरुआत में शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा, कि वो नए बच्चों को पुरानी कक्षाओं के बारे में बताएँ। बच्चों का हौसला बढ़ाएँ। पीएम मोदी ने कहा, कि छात्र तो हर कक्षा में बदलते रहते हैं, लेकिन शिक्षक वहीं पर रहते हैं। वो छात्रों को प्रेरणा दे सकते हैं। छात्रों को समस्याओं का हल बता सकते हैं।
बता दें, कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ एक वार्षिक कार्यक्रम है, जो 2018 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ चर्चा और मार्गदर्शन के लिए एक मंच प्रदान करता है। कार्यक्रम का उद्देश्य परीक्षाओं के दबाव को कम करना और छात्रों को सफल होने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में मदद करना है।