मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार (21 फरवरी 2024) को देहरादून में उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित उत्तराखंड साहित्य गौरव, सम्मान समारोह में साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न भाषाओं का मिश्रण पुस्तक तराण का विमोचन किया गया। आईआरडीटी सभागार में आयोजित समारोह में उत्तराखंड भाषा संस्थान ने वर्ष 2023 के साहित्य पुरस्कारों की घोषणा करते हुए 10 साहित्यकारों को कई श्रेणियों में साहित्य गौरव सम्मान के लिए चयनित किया था।
#WATCH | Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami attends 'Uttarakhand Literature Pride and Honor Ceremony' organised by Uttarakhand Language Institute in Dehradun pic.twitter.com/Pu9FDU5CiY
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 21, 2024
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा, “साहित्यकार की रचना में देवत्व मिला होता है। आज विश्व मातृ भाषा दिवस की भी बधाई देता हूं। आज बहुत ही अच्छा दिन है।” उन्होंने कहा, “आज आप जैसे महानुभावों को सम्मान देने का हमें अवसर मिला है। यह एक नई शुरुआत है। इससे हमारे अंदर भी ऊर्जा का संचार हो रहा है। यह सिर्फ आपका सम्मान नहीं है।”
"आज आप जैसे महानुभावों को सम्मान देने का हमें अवसर मिला है। यह एक नई शुरुआत है। इससे हमारे अंदर भी ऊर्जा का संचार हो रहा है। यह सिर्फ आपका सम्मान नहीं है।": मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami pic.twitter.com/ndhDWyFP2P
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सीएम धामी ने कहा, “आप लोग अपनी लेखनी से लोकभाषा, राज्य और देश का सम्मान बढ़ाते रहेंगे, ऐसी हमारी आकांक्षाएं हैं। हम सभी को नवाचार की ओर जाना चाहिए, जिसमें हमारा भाषा संस्थान अच्छा कार्य कर रहा है।” मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “उत्तराखंड की पहचान ऐसे राज्य के रूप में हैं जहां भाषा और साहित्य की सेवा करने वाली अनेक विभूतियों ने जन्म लिया है। उत्तराखंड में जन्मे कई साहित्कारों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है।”
उन्होंने कहा, “बहुत लोग साहित्य के क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं। कुछ लोगों को हमने इस बार सम्मानित किया है। ये एक नई परिपाटी हमने शुरू की है, जिसे हम आगे बढ़ाएंगे।” सीएम धामी ने कहा, “मुझे अत्यंत हर्ष है कि सम्मान पाने वाले लोगों में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी बोलियों में कई रचनाएं की है। हमें अपनी भाषा, बोलियों को बचाने के लिए आम लोगों को भी सहभागी बनाना पड़ेगा।”
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “हमें अपने घरों से इस कार्य को शुरू करना होगा। हमारे बच्चे हमारे कर्णधार हैं। घर पर जब भी बच्चों से बात करें तो लोक बोलियों में करें।”
"हमें अपने घरों से इस कार्य को शुरू करना होगा। हमारे बच्चे हमारे कर्णधार हैं। घर पर जब भी बच्चों से बात करें तो लोक बोलियों में करें।": मुख्यमंत्री श्री @pushkardhami pic.twitter.com/cWRci38sqP
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उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान समारोह में दीर्घकालीन साहित्य सृजन के लिए साहित्यकार प्रो. लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही को सुमित्रानंदन पंत साहित्य गौरव, कथा साहित्य के लिए डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी सम्मान दिया गया। उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति एस भदौरिया के अनुसार, इस वर्ष कुमाऊंनी लोक साहित्य में दीर्घकालिक साहित्य सृजन के लिए देवकीनंदन भट्ट मयंक को गुमानी पंत पुरस्कार प्रदान किया गया।