उत्तराखंड में जंगलो की विकराल होती आग ने चिंता बढ़ा दी है। इसी क्रम में शनिवार (27 अप्रैल 2024) को मुख्यमंत्री धामी ने मामले की गंभीरता के दृष्टिगत हल्द्वानी में जंगलों में लगी आग की रोकथाम और पेयजल व्यवस्था को लेकर एफटीआई में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। समीक्षा बैठक में कुमाऊं कमिश्नर, वन विभाग के अधिकारी समेत अल्मोड़ा, चंपावत समेत अन्य जिलों के अधिकारी वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय बैठक के दौरान हल्द्वानी में वनाग्नि की रोकथाम व पेयजल व्यवस्था के संबंध में अधिकारियों को वनाग्नि से निपटने के लिए धरातल पर कार्य करने के निर्देश दिए। सीएम धामी ने कहा, “आग लगने पर जिलाधिकारी व संबंधित विभाग के अधिकारी, कर्मचारी भी अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करते हुए प्रभावित वन क्षेत्र पहुंचकर सामंजस्य के साथ आग पर काबू पाने में अपना सहयोग दें।”
#WATCH | Haldwani: Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami holds a high-level review meeting regarding the prevention of forest fire in the forests of the state during summer.
During the meeting, the Chief Minister also reviewed the drinking water arrangements. pic.twitter.com/MCvUnCNm9U
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 27, 2024
सीएम धामी ने वनाग्नि को रोकने के लिए स्थानीय संगठनों, स्वयं सहायता समूहों के साथ मिलकर जनजागरुकता फैलाने और जंगलों में आग लगाने वाले लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने कहा, वनाग्नि रोकने में सहयोग कर रहे ग्रामीणों को चिन्हित कर वन विभाग द्वारा सम्मानित भी किया जाए।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, अधिकारीगण ग्रीष्मकाल में पेयजल की समस्या का समाधान करने के लिए प्रभावी व्यवस्था बनाने के साथ ही टैंकरों से जलापूर्ति व पेयजल लाइनों की समुचित मरम्मत सुनिश्चित करें।
बता दें, कि गढ़वाल मंडल के टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के जंगल लगातार धधक रहे हैं। इन इलाकों में अधिकतर चीड़ के जंगल होने के कारण आग बेहद तेजी से फैल रही है। वनकर्मी आग बुझाने में जुटे हैं। एक स्थान पर आग बुझती है तो दूसरी जगह भड़क उठती है। वहीं कुमाऊं में जंगलों में लगी आग विकराल होती जाती जा रही है।
आज शनिवार 27 अप्रैल 2024 को नैनीताल के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद ली गई। भीमताल झील से पानी भरकर जंगलों में पानी डालने का काम करना शुरू कर दिया गया है।