प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के रांची में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के नौकर के घर से भारी मात्रा में नकदी जब्त की है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है, नगदी लगभग 30 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। बैंक अधिकारी यहां नोट गिनने वाली मशीनों के साथ पहुंचे है। बता दें, यह पूरा घोटाला और नकद का पहाड़ महज 10 हजार रुपये की रिश्वत के कारण सामने आया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह पूरा घोटाला मात्र 10 हजार की रिश्वत के एक मामले के बाद खुला है। इसमें अब तक सैकड़ों करोड़ का खुलासा हो चुका है। दरअसल, नवम्बर 2019 में झारखंड सरकार में कार्यरत एक जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए दबोचा गया था। यह रिश्वत एक ठेकेदार से ली जा रही थी। उसकी गिरफ्तारी के बाद एजेंसी ने आरोपित के घर और बाकी ठिकानों की जाँच शुरू की।
इसके बाद जब सुरेश वर्मा के घर पर एजेंसी जाँच करने के लिए पहुँची, तो उसे 2 करोड़ से अधिक की नकदी बरामद हुई। एजेंसी को पूछताछ के दौरान पता चला, कि वर्मा किराए के घर में रहते हैं और यह घर ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम का है। वर्मा ने यह भी खुलासा किया, कि बरामद नकदी उससे संबंधित नहीं है, बल्कि ये धनराशि वीरेंद्र राम की है और उन्होंने ही यह नकदी उन्हें रखने के लिए दी थी। इसके बाद एजेंसी की सुई वीरेंद्र राम की ओर घूम गई।
जाँच एजेंसी ने फरवरी, 2023 में वीरेंद्र राम के ठिकानों पर छापा मारा, इस दौरान वीरेंद्र राम के पास से ईडी को 30 लाख रुपये मिले। इसके साथ ही 1.5 करोड़ के जेवर भी मिले। छापेमारी के दौरान बरामद दस्तावेजों से पता चला, कि वीरेंद्र राम के पास ₹100 करोड़ की चल-अचल संपत्ति है। इसके बाद वीरेंद्र राम को एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया गया था। वीरेंद्र राम पर ग्रामीण विकास विभाग से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वन में धांधली के आरोप भी लगे थे।
अब इस मामले में ईडी फिर सक्रिय हो गई है और उसने ग्रामीण विकास मंत्रालय के मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव के ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी। बताया जा रहा है, कि जिस नौकर के घर से करोड़ों की नकदी बरामद हुई है, उसकी तनख्वाह मात्र 15 हजार रुपये प्रति माह है। एजेंसी अब बरामद करोड़ो की नकदी का स्रोत पता करने के प्रयास में जुट गई है।