विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए एक जून 2024 को खोल दी जाएगी। नंदा देवी राष्ट्रीय वन प्रभाग इन दिनों घाटी में पर्यटकों के स्वागत की तैयारियों में जुटा है। पर्यटकों व ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए फूलों की घाटी की यात्रा बेहद रोमांचकारी मानी जाती है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर घाटी में दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियां पाई जाती हैं।
उप वन संरक्षक बीबी मार्तोलिया ने बताया, घाटी में पहला दल घांघरिया से एक जून को रवाना किया जाएगा। दल को घाटी में ट्रैक के बाद उसी दिन वापस आना होता है। बताया, यहां के लोगों के लिए 200 रुपये और विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपये ईको ट्रैक शुल्क निर्धारित है। घांघरिया में टूरिस्ट गाइड की भी सुविधा उपलब्ध रहेगी।
उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी ट्रैक इस बार 01 जून 2024 से पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। फूलों की घाटी ट्रैक अपने विभिन्न तरह के फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। pic.twitter.com/MYffala0oM
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) May 18, 2024
उल्लेखनीय है, कि उत्तराखंड के चमोली जिले में फूलों की घाटी को उसकी प्राकृतिक खूबसूरती और जैविक विविधता के कारण 2005 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया। 87.5 वर्ग किमी में फैली फूलों की ये घाटी न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह घाटी आज भी शोधकर्ताओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
गढ़वाल के ब्रिटिशकालीन कमिश्नर एटकिंसन ने अपनी पुस्तक हिमालयन गजेटियर में 1931 में इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया। वनस्पति विशेषज्ञ फ्रेक सिडनी स्माइथ जब कामेट पर्वतारोहण से वापस लौट रहे थे तो रास्ता भटक जाने के कारण फूलों की घाटी पहुंच गए थे। फूलों से खिली इस सुरम्य घाटी को देख वो मंत्रमुग्ध हो गए।
1937 में फ्रेक एडिनेबरा बाटनिकल गार्डन की ओर से फिर इस घाटी में आए और तीन माह तक यहां रहे। उन्होंने वैली आफ फ्लावर्स नामक किताब लिखी तो विश्व ने इस अनाम घाटी को जाना। फूलों की घाटी में उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पापी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्मकमल, फैन कमल जैसे कई फूल प्रमुख है। साथ ही घाटी मे दुर्लभ प्रजाति के जीव जंतु, वनस्पति, जड़ी बूटियों का है संसार बसता है। घाटी में जून से अक्टूबर तक फूलों की महक फैली रहती है।
फूलों की घाटी पहुंचने के लिए बदरीनाथ हाइवे से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से तीन किमी सड़क मार्ग से पुलना और 11 किमी की दूरी पैदल चलकर हेमकुंड यात्रा के बैस कैंप घांघरिया पहुंचा जा सकता है। यहां फूलों तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है। फूलों की घाटी में जाने के लिए पर्यटक को बैस कैंप घांघरिया से ही अपने साथ जरूरी खाने का सामान भी ले जाना पड़ता है। क्योंकि वहां पर दुकाने नहीं है।
फूलों की घाटी एक जून से 31 अक्तूबर तक खुली रहती है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिम तेंदुएं भी रहते है। फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटक बैस कैंप घाघरिया से हेमकुंड की यात्रा भी कर सकते हैं। यहां से पांच किमी चढ़ाई चढ़कर हेमकुंड, लक्ष्मण मंदिर विराजमान है। यहां पर पवित्र हेमकुंड सरोवर भी है।