पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान आर्थिक रूप से तबाही की दहलीज पर पहुँच चुका है। उसके पास अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा का भंडार लगातार कम हो रहा है। बताया जा रहा है, कि पाकिस्तान के पास सिर्फ इतनी ही विदेशी मुद्रा शेष बची है, कि वो सिर्फ 2 महीने तक ही किसी प्रकार अपनी गुजर-बसर कर सकता है, लेकिन कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की पाकिस्तान हर संभव सहायता कर रहा है।
गौरतलब है, कि बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर लड़ रहा है। वो अब तक दहशतगर्दों को दवाइयाँ और हथियार उपलब्ध करा रहा था, लेकिन अब वो हाईटेक कम्यूनिकेशन उपकरण भी दे रहा है, ताकि वो भारतीय सुरक्षा बलों से बचते हुए आतंकी हमलों को अंजाम दे सकें। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है, कि कुछ दिन पहले रियासी में हुए आतंकी हमले में शामिल जिन दो आतंकियों को सुरक्षा बलों ने ढेर किया है, उनके पास से पाकिस्तानी उपकरण बरामद हुए है।
भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा बरामद किये गए हाईटेक उपकरण के बाद यह स्पष्ट है, कि पाकिस्तान अब तक जिन आतंकियों की पर्दे के पीछे से सहायता करता था, अब वो खुलकर दहशतगर्दों की मदद कर रहा है। न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर घाटी के इलाकों के मुकाबले बीते कुछ दिनों में जम्मू वाले क्षेत्रों को आतंकियों द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान अब जम्मू वाले इलाके में दहशतगर्दों को एक्टिव कर चुका है। इसी क्रम में रियासी में बस पर हुए आतंकी हमलों में शामिल दो आतंकी कठुआ जिले की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास हीरानगर इलाके में हुई मुड़भेड़ में ढेर हुए है। मुड़भेड़ में मारा गया एक आतंकी जैश-ए-मोहम्मद का शीर्ष कमांडर रिहान था, जबकि दूसरा आतंकी कथित तौर पर उसका पीएसओ बताया जा रहा है।
सुरक्षाबलों द्वारा दोनों आतंकियों से बरामद उपकरण ये पुष्टि कर रहे है, कि दोनों दहशतगर्दों को पाकिस्तानी सेना से सहायता मिल रही थी। मुड़भेड़ में मारे गए आतंकी रिहान के पास से अत्याधुनिक नाइट स्कोप और फ्रीक्वेंसी सैटेलाइट कम्युनिकेशन उपकरण वाली एम-फोर राइफल मिली है। इसके अलावा आतंकी माइक्रो कंपनी का सैटेलाइट कम्युनिकेशन डिवाइस का भी उपयोग कर रहा था।
उल्लेखनीय है, कि माइक्रो कंपनी की डिवाइस पाकिस्तान की सेना, नौसेना और वायु सेना करती है। आतंकियों से बरामद हाई टेक उपकरण इस बात की तरफ संकेत कर रहे है, कि आतंकियों को भेजने के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। बता दें, कि जम्मू-कश्मीर में एक हफ्ते के अंदर रियासी, कठुआ और डोडा जिलों में एक के बाद एक सिलसिलेवार तरीके से आंतकी हमले हुए है। इन हमलों में लगभग 11 निर्दोष नागरिकों की जान जा चुकी है, जिसमें एक सीआरपीएफ का जवान भी शामिल है।
वहीं सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में दो आतंकी भी ढेर हुए हैं। इस आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के रावलकोट में जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडरों की बैठक हुई थी। इसमें जैश कमांडर रजाक और हिजबुल का डिप्टी कमांडर खालिद भी शामिल हुआ था। आतंकी संगठनो की बैठक में दिए गए भाषणों के दौरान भारत को और अधिक नुकसान पहुँचाने की गीदड़ भभकी भी दी गई थी।