अयोध्या स्थित राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा कराने वाले वाराणसी के पुजारी लक्ष्मीकांत दीक्षित जी शनिवार (22 जून 2024) को परलोक धाम सिधार गए है। उल्लेखनीय है, कि वे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य पुजारी थे और उन्होंने ही 121 वैदिक ब्राह्मणों का नेतृत्व किया था। वे दिसंबर 2021 में काशी में बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन कार्यकम में भी शामिल हुए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 82 वर्षीय लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा मंगलागौरी स्थित अपने आवास पर प्रातः लगभग 7 बजे अपने शरीर से विदा ली। वे बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। मणिकर्णिका घाट पर उनके पुत्र जयराम दीक्षित द्वारा उन्हें मुखाग्नि दी गई। उन्होंने बाल्यकाल में ही आजीवन काशी में रहने का प्रण ले लिया था। 1942 में मुरादाबाद में जन्मे पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित बाल्यावस्था में ही शुक्लयजुर्वेद शाखा और घनान्त अध्ययन के लिए काशी आ गए थे।
वाराणसी: स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने अयोध्या में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर दुख व्यक्त किया। pic.twitter.com/xbvoDIbBC6
— IANS Hindi (@IANSKhabar) June 22, 2024
मीडिया में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है, पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित जी की तबीयत आज सुबह अचानक बिगड़ी, जिसके कुछ ही देर पश्चात उनका देहांत हो गया। वे भारतीय सनातन संस्कृति और परंपरा से बेहद गहराई से जुड़े हुए थे। साथ ही वह सदैव ईश्वर के प्रति समर्पित रहने के भाव को लोगों को समझाते रहते थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित पूजा पद्धति के प्रकांड विद्वान माने जाते थे। वह मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के जेऊर इलाके के रहने वाले थे। उनके पूर्वज नागपुर और नासिक रियासतों में धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराते थे। वहीं उनके पूर्वज पंडित गागा भट्ट भी थे, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्यभिषेक कराया था।