भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सौर मिशन आदित्य-एल1 को लेकर बड़ी सफलता हासिल की है। सूर्य मिशन आदित्य-एल1 को लेकर सामने आये अपडेट के अनुसार, आदित्य-एल1 ने मंगलवार को सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु के चारों ओर अपनी पहली हेलो कक्षा पूरी की है। इसरो ने जानकारी देते हुए बताया, कि मंगलवार को कक्षा में स्थिर रखने के लिए फेरबदल किया गया, ताकि यान का दूसरी हेलो कक्षा में निर्बाध संक्रमण सुनिश्चित किया जा सके।
इसरो के अनुसार, हेलो ऑर्बिट में आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को एल1 बिंदु के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 178 दिन लगते है। स्पेस एजेंसी ने बताया, कि हेलो ऑर्बिट में अपनी यात्रा के दौरान आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान विभिन्न विकर्षणकारी बलों के संपर्क में आएगा, जिसके कारण वह लक्षित ऑर्बिट से बाहर चला जाएगा।
Aditya-L1: Celebration of First Orbit Completion 🌞🛰️
Today, Aditya-L1 completed its first halo orbit around the Sun-Earth L1 point. Inserted on January 6, 2024, it took 178 days, to complete a revolution.Today's station-keeping manoeuvre ensured its seamless transition into… pic.twitter.com/yB6vZQpIvE
— ISRO (@isro) July 2, 2024
आदित्य-एल1 मिशन लैग्रेंजियन बिंदु एल1 पर स्थित एक भारतीय सौर वेधशाला है। इसे दो सितंबर 2023 को प्रक्षेपित किया गया और छह जनवरी 2024 को इसे अपनी लक्षित हेलो कक्षा में स्थापित किया गया। भारतीय स्पेस एजेंसी ने बताया, ‘‘आदित्य-एल1 को इस ऑर्बिट को बनाए रखने के लिए क्रमशः 22 फरवरी और सात जून को दो बार उसके मार्ग में फेरबदल किया गया। आज के तीसरे अभ्यास ने यह सुनिश्चित किया है, कि एल1 के चारों ओर दूसरे हेलो ऑर्बिट में इसकी यात्रा जारी रहे।’’
इसरो के अनुसार, ‘‘आज के फेरबदल के साथ, आदित्य-एल1 मिशन के लिए यूआरएससी-इसरो में विकसित अत्याधुनिक उड़ान गतिशीलता सॉफ्टवेयर पूरी तरह से स्थापित हो गया है।’’ बता दें, कि सूर्य मिशन के पीछे इसरो के कई उद्देश्य है। जिस प्रकार धरती पर भूकंप आते हैं उसी प्रकार सौर भूकंप भी होते हैं, जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। सौर कंपन का अध्ययन करने के लिए सूर्य की निगरानी जरूरी है।
उल्लेखनीय है, कि सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य का पता लगाने के लिए भारत के पहला सौर मिशन ‘आदित्य’ में सात पेलोड लगे है। आदित्य-एल1 सूर्य की निगरानी के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है। सौर वेधशाला को 400 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इसरो ने बीते साल 2 सितंबर को अपने लॉन्च व्हीकल पीएसएलवी-सी57 से आदित्य एल1 मिशन को लॉन्च किया था।