मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार 4 जुलाई को आध्यात्मिक गुरु और भारत के महान संत स्वामी विवेकानंद जी की 122वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सीएम धामी ने स्वामी जी की पुण्यतिथि के अवसर पर सरकारी आवास पर विवेकानंद की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए। उन्होंने कहा, कि विवेकानंद जी का दर्शन और शिक्षाएं अनंत काल तक मानवता का मार्गदर्शन करती रहेंगी।
मुख्यमत्री धामी ने स्वामी विवेकानंद जी की 122वीं पुण्यतिथि पर एक्स पोस्ट पर लिखा,” मां भारती के अनन्य उपासक, भारतीय संस्कृति को वैश्विक पटल पर गौरवान्वित करने वाले, युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “विवेकानंद जी का विचार दर्शन एवं उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं भावी पीढ़ी का पथ प्रदर्शित करती रहेंगी।”
मां भारती के अनन्य उपासक, भारतीय संस्कृति को वैश्विक पटल पर गौरवान्वित करने वाले, युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
विवेकानंद जी का विचार दर्शन एवं उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं भावी पीढ़ी का पथ प्रदर्शित करती रहेंगी। pic.twitter.com/8sX68Bppt0
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 4, 2024
बता दें, कि गुलामी के कालखंड में देश के युवाओं को नई दिशा और सोच देने वाले स्वामी विवेकानंद श्रीरामकृष्ण परमहंस जी के शिष्य थे। उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में विश्व मंच पर हिंदू धर्म को एक मजबूत पहचान दिलाई थी। बहुत कम आयु में ही संन्यास धारण करने वाले स्वामी जी ने पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से अवगत कराया। वे एक बेहद प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं, जिन्हें पश्चिमी दुनिया को हिंदू धर्म के सनातन ज्ञान के विषय में अवगत कराने का श्रेय दिया जाता है।
एक सच्चे राष्ट्रभक्त स्वामी विवेकानंद जी आज भी अपने प्रेरणादायक विचारों द्वारा करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देते है। प्रकृति से बेहद लगाव रखने वाले स्वामी विवेकानंद जी देवभूमि उत्तराखंड में पांच बार यात्रा पर आये थे। स्वामी जी को आत्मज्ञान की प्राप्ति भी उत्तराखंड के काकड़ीघाट में पीपल वृक्ष के नीचे प्राप्त हुई थी। आज भी उस दिव्य स्थान को पूरे समर्पित भाव से पूजा जाता है। प्रत्येक आध्यात्मिक जिज्ञासु के लिए यह स्थान आकर्षण का केंद्र है।
उत्तराखंड में स्वामी विवेकानंद जी की अंतिम यात्रा वर्ष 1901 में मायावती के अद्वैत आश्रम में हुई थी। आश्रम को बनाने वाले कैप्टन सेवियर की मृत्यु पर 170 किलोमीटर की दुर्गम यात्रा कर स्वामी जी तीन जनवरी, 1901 को अद्वैत आश्रम लोहाघाट पहुंचे और 18 जनवरी, 1901 तक इस स्थान पर प्रवास किया। इस अवधि में उन्होंने योग व ध्यान साधना की थी।