मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार (25 जुलाई 2024) को टिहरी जन क्रांति के नायक अमर शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। सीएम धामी ने इस अवसर पर कहा, कि श्रीदेव सुमन ने अपने समय की कठिन परिस्थितियों में लोकशाही के लिए संघर्ष किया तथा अपने जीवन का बलिदान दिया। समर्पण एवं संघर्ष से परिपूर्ण श्रीदेव सुमन की जीवन गाथा सदैव हमें मातृभूमि की सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी।
सीएम धामी ने कैम्प कार्यालय में स्वतंत्रता सेनानी, संघर्ष व बलिदान की प्रतिमूर्ति श्रीदेव सुमन जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, कि अनेक यातनाएं सहते हुए भी वे कभी भी न्याय के मार्ग से विचलित नहीं हुए। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा, राष्ट्र की स्वाधीनता में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ ही आपने टिहरी जनक्रांति को नई ऊर्जा देने का कार्य किया। मातृभूमि की सेवा को समर्पित आपका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा स्तम्भ है।
महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देवभूमि के वीर सपूत, अमर शहीद श्रीदेव सुमन जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन।
राष्ट्र की स्वाधीनता में महत्वपूर्ण योगदान देने के साथ ही आपने टिहरी जनक्रांति को नई ऊर्जा देने का कार्य किया। मातृभूमि की सेवा को समर्पित आपका जीवन हम सभी के लिए… pic.twitter.com/kQ9QeJvSPt
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 25, 2024
जानकारी के लिए बता दें, कि ब्रिटिश शासन काल में भारतीय जनता अंग्रेजो की शासन नीतियों के अलावा देशी रियासतों के नवाबों और राजाओं द्वारा भी शोषण का शिकार थी। शोषित जनता की आंतरिक पीड़ा की कोई सुनवाई नहीं थी। वे किसी भी माध्यम के द्वारा अपना दुःख – दर्द बयान नहीं कर सकती थी। अलग-अलग प्रकार के करो से त्रस्त जनता का आर्थिक शोषण चरम सीमा तक पहुंच गया था।
Sridev Suman : टिहरी रियासत के स्वाधीनता संग्राम के वीर योद्धा श्रीदेव सुमन
लगातार 84 दिनों के लंबे आमरण अनशन के बाद टिहरी रियासत के तकरीबन 28 वर्षीय नवयुवक श्रीदेव सुमन ने 25 जुलाई 1944 को अपने जीवन और परिवार की तनिक भी चिंता ना करते हुए, टिहरी रियासत की जनता के नागरिक अधिकारों के लिए स्वयं को होम कर दिया। श्रीदेव सुमन द्वारा अहिंसा के मार्ग पर चलकर एक ऐसी वैचारिक क्रांति का उदय किया, जिसके तेज से उत्पन्न तीव्र लहर तब तक नहीं रुकी, जब तक, कि मूल लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो गयी।
श्रीदेव सुमन के बलिदान का ही परिणाम था, कि टिहरी रियासत की जनता के अधिकारों की प्राप्ति उनकी शहादत के कुछ ही वर्ष बाद हो गयी। वीरात्मा श्रीदेव सुमन द्वारा जो त्याग और हिम्मत के आदर्श उपस्थित किये, वह चिरकाल तक सदैव लोगो को याद रहेगा। टिहरी ही नहीं हिंदुस्तान के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में भी श्रीदेव सुमन का नाम सदैव अमर रहेगा।