राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नाम परिवर्तित कर दिया गया है। अब ‘दरबार हॉल’ को ‘गणतंत्र मंडप’ के नाम से जाना जाएगा, वहीं ‘अशोक हॉल’ अब ‘अशोक मंडप’ कहलाएगा। उल्लेखनीय है, कि यह निर्णय स्वयं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लिया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, कि राष्ट्रपति भवन राष्ट्र का प्रतीक है, साथ ही यह नागरिको के लिए एक बहुमूल्य विरासत है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की प्रेस सलाहकार नाविका गुप्ता द्वारा हस्ताक्षरित विज्ञप्ति को गुरुवार (25 जुलाई, 2024) को जारी किया गया। इस विज्ञप्ति के अनुसार, “इसके लिए लगातार कदम उठाए जा रहे है, कि राष्ट्रपति भवन का वातावरण भारत की संस्कृति, मूल्यों एवं लोकाचार का प्रतिनिधित्व करे।”
इसी क्रम में राष्ट्रपति भवन के दो सभागार ‘दरबार हॉल’ और ‘अशोक हॉल’ का नया नामकरण करने का निर्णय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा लिया गया है। ‘दरबार हॉल’ अब ‘गणतंत्र मंडप’ के रूप में जाना जाएगा, वहीं ‘अशोक हॉल’ अब ‘अशोक मंडप’ कहलाएगा।
President Droupadi Murmu renames two of the important halls of Rashtrapati Bhavan – namely, ‘Durbar Hall’ and ‘Ashok Hall’ – as ‘Ganatantra Mandap’ and ‘Ashok Mandap’ respectively: Rashtrapati Bhavan pic.twitter.com/2q6F5ZdVaq
— ANI (@ANI) July 25, 2024
बता दें, कि राष्ट्रपति भवन में सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘दरबार हॉल’ में ही आयोजित किये जाते है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह इसी सभागार में आयोजित किया जाता है। राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कि ‘दरबार’ का अर्थ हुआ कोर्ट, जैसे भारतीय शासकों अथवा अंग्रेजों के दरबार। बताया गया है, कि अब जब भारत गणतंत्र बन गया है, तो ये शब्द अपनी प्रासंगिकता खो चुका है।
विज्ञप्ति के अनुसार, गणतंत्र की अवधारणा भारतीय समाज एवं प्राचीन इतिहास में रचा-बसा है, इसीलिए इस स्थल का नाम ‘गणतंत्र भवन’ रखा गया है। वहीं ‘अशोक हॉल’ में पहले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, अशोक शब्द का अर्थ है, जो सभी दुःखों से रहित हो, साथ ही ये भारत के प्राचीन सम्राट का नाम है, ऐसे में ये एकता एवं सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रतीक है।
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय चिह्न भी सम्राट अशोक के स्तम्भ से लिया गया शेरों का समूह है। इसी तरह भारतीय संस्कृति में अशोक वृक्ष का भी महत्व है। राष्ट्रपति भवन ने कहा, कि ‘अशोक मंडप’ भाषा की मर्यादा के हिसाब से उचित नाम है।